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2016 में लागू किया गया 2000 का नोट 2023 से बंद करने की प्रधानमंत्री ने घोषणा। बिरेंद्र पासवान

ByAdmin Office

May 22, 2023

केंदुआ(धनबाद) कांग्रेस इंटक प्रदेश सचिव सह प्रवक्ता बिरेंद्र पासवान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार के इशारे पर यह सब हो रहा है मोदी जी ने तानाशाही फैसला लिया था नोट बंद करने का जिसके बाद देश की जनता परेशान हुई नोट बंदी से देश के साथ छोटे व्यापारियों को नुक्सान हुआ। श्री पासवान ने ध्यान केंद्रित कराते हुए लिखा कि (CMIE ) सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आधिकारिक रिपोर्ट से नोटबंदी से नुक़सान समझें 1- नए नोटों का प्रिंटिंग खर्च ₹21,000 करोड़ 2- देश के कारोबार को 61000 करोड़ नुकसान 3- अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ नुकसान 4- भारतीय बैंकों को 35000 करोड़ का नुकसान 5- कालाधन निकला “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” 6- 99.4% ₹ बैंकों में वापस 7- नोटबंदी के 4 महीने में छीनीं 33 लाख नौकरियां 80 लाख रोटी को तरसे 8- GDP ग्रोथ रेट 2014 में 11.1% से 4.3% रह गयी 8- नोटबंदी से 33 लोगों मोत और 16 बैंक कर्मचारी मोत 9- करोड़ों कारख़ाने और लघु मध्यम उद्योग बंद 10- लाखो ATM का साइज़ बदला करोडो का खर्च। तो क्या 2000 की नोटबंद करके 500 के नोट प्रिंटिंग का खर्चा 4 गुना होगा मतलब 84000 करोड़ खर्चा और? केन्द्र की मोदी सरकार देश की जनता को जबाव देअगर दो हजार के नोट को बंद ही करना था तो इसे लाया ही क्यों गया था। अगर दो हजार का नोट पहले से चलन में नहीं था तो इसपर भी जवाब देना चाहिए. केन्द्र की मोदी सरकार को यह भी बताना चाहिए की दो हजार के नोट मार्केट से कैसे गायब हो गए। चाय बेचने वाले प्रधानमंत्रीपहले ही गलती कर चुके है. अब फिर से उन्होंने गलती कर दी है, बगैर समय दिए पहले नोटबंदी की गयी थी और अब दो हजार का नोट भी बंद कर दिया गया। ऐसे फैसलों से अर्थव्यवस्था मजबूत होने की बजाए कमज़ोर होती है. बीजेपी बिना सोचे समझे दो हज़ार के नोट को बाजार में लायी थी अब उससे पलटना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए इसलिए 2000 रूपए की नोट पर पाबंदी लाई गई है। केन्द्र की सरकार बताए 2000 की नोट बंद कर दिया क्या आतंकवाद भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाएगी? अब 2000 रुपए के नोट बंद कर दिए हैं. इसमें गिनाएं क्या कारण है? आरबीआई से हम पूछना चाहते हैं, बंद क्यों किए हैं? वैसे तो आप ने 2019 से छापना बंद कर दिया, लेकिन आज 2023 है अब अचानक इसको बंद कर दिया. इसका कारण क्या है? मतलब यह है कि आप (केंद्र सरकार) अपने ही फैसले को सात साल बाद बदल रहे हैं. 2016 में इसे लागू किया अब 2023 से बंद कर दिया, मतलब यह ‘थूक कर चाटने’ जैसा है.देश की जनता को आरबीआई के गवर्नर को बताना चाहिए कि क्यों 2000 हजार रुपए के नोट बंद बंद किए. क्या शासकीय धन का ऐसे ही दुरुपयोग करेंगे.एक लेख के मुताबिक नोट छापने में 16-17 सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. देश के आयकर दाताओं के पैसे खर्च हो रहे हैं. आप जब चाहे तब खत्म कर देंगे और जब चाहे तब चालू कर देंगे. अब कौन से नोट चालू करेंगे यह देश की जनता को बता दें।


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