

चांडिल/सरायकेला: सरायकेला जिले के कुकड़ू प्रखंड अंतर्गत लेटेमदा गांव में शनिवार देर रात जंगली हाथी ने हमला कर गौरंग महतो उर्फ बुका महतो (45) को मौत के घाट उतार दिया। यह घटना रात 3 से 4 बजे के बीच की बताई जा रही है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है।
मुआवजे का निर्देश और ग्रामीणों की मांग

घटना की सूचना मिलते ही जिला परिषद उपाध्यक्ष श्रीमती मधुश्री महतो ने वन विभाग के अधिकारियों से बात की और मृतक के परिजनों को नियमनुसार तत्काल मुआवजा राशि भुगतान करने का निर्देश दिया। ग्रामीणों का कहना है कि ईचागढ़ विधानसभा के दर्जनों गांवों को अब ‘एलिफेंट रेड जोन’ घोषित कर देना चाहिए ताकि वहां सुरक्षा के विशेष इंतजाम हो सकें।

पलायन और वन विभाग की विफलता पर सवाल
ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने विभाग से तीखे सवाल पूछे हैं:
दलमा से पलायन क्यों? 193.22 वर्ग किमी में फैला दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी (गज परियोजना) होने के बावजूद पिछले 6 वर्षों से हाथी वहां क्यों नहीं रुक रहे हैं?
सिर्फ होर्डिंग्स तक सीमित है वन्यजीव? विभाग के बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर तो जानवर दिखते हैं, पर जंगल की जमीन पर वे असुरक्षित हैं।
हाथियों की मौत का जिम्मेदार कौन? नीमडीह थाना क्षेत्र में एक वर्ष के अंदर 5 हाथियों की मौत हो चुकी है। कारण— करंट, कुआं या जहर। आखिर विभाग की निगरानी टीम क्या कर रही है?
खतरे में वन्यजीव और मानव जीवन
रिपोर्ट के अनुसार, जंगलों की अवैध कटाई, जल स्रोतों का सूखना और पर्याप्त भोजन की कमी के कारण हाथी गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। गर्मी दस्तक देते ही दलमा के हाथी स्वर्णरेखा चांडिल बांध जलाशय के आसपास डेरा डाल लेते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग सिर्फ पटाखे और जला हुआ मोबिल देकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लेता है, जबकि जरूरत पश्चिम बंगाल की तर्ज पर हाई-टेक मॉनिटरिंग और माइकिंग द्वारा सूचना साझा करने की है।
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