

रिपोर्ट सत्येन्द्र यादव
कुल्टी: पृथ्वी का अग्निकुण्ड भारत हैं और भारत का अग्निकुण्ड ऊड़ीसा हैं वं ऊड़ीसा का अग्निकुण्ड पुरी हैं, तथा पुरी का अग्निकुण्ड भगवान जगन्नाथ हैं। भगवान जगन्नाथ के अग्निकुण्ड में ही रसोई हैं। इस लिए कहा गया हैं कि जगन्नाथ के भात, जगत पसारे हाथ ? उक्त बाते अयोध्या से आए संत अमृतानंदजी महराज ने बुधवार की देर शाम को कुल्टी के सिमुलग्राम स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर में पांच दिवसीय भागवत के अंतिम दिन सुनाने के दौरान कहीं।

कुल्टी सेंट्रल भगवान जगन्नाथ सेवा समिति सिमुलग्राम के 75 वें वाषिर्क रथोत्सव द्वारा आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन संत अमृतानंदजी महराज ने कृष्ण जन्म उत्सव को लेकर कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म अंहकार और सनातन धर्म को बचाने के लिए हुआ। अंहकार से भरे कंश का वध करना और धर्म की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने ही की। जिसके परिणामस्वरूप आज सनातन धर्म की गूंज पूरी दुनिया में दिख रही हैं। सनातन धर्म कइ हमले हुए, उसके बावजूद सनातन धर्म सहिष्णुता रहने के कारण ही आज यह धर्म दुनियाभर का सर्वश्रेष्ठ और मानव कल्याण के लिए जाना जाता हैं। जिसके परिणामस्वरूप पूरी दुनिया में सनातनियों की संख्या बढ़ रही हैं।

इस अवसर पर कुल्टी सेंट्रल भगवान जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष कल्पतरू तांडिया, रवि प्रसाद, मुख्य सलाहकार तारकेश्वर तांडिया, राकेश सोना, सन्नी गुप्ता, संजय सिंह, देवदुलाल तांडिया, जिंटू जगदल, रंजित प्रसाद समेत कई लोगों की धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाने में अहम भूमिका रही।
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