

कार्तिगाई दीपम तमिल हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल लोगों द्वारा मनाये जाने वाले सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है। त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलायें जाते हैं।
कार्तिगाई दीपम और कार्तिकाई दीपम का उपयोग आपस में अदल-बदल कर किया जाता है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम को मनाया जाता है।

कार्तिगाई दीपम को भगवान शिव के सम्मान में किया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था।

तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।
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