

धनबाद—भोज के दिन कोहडा रोप ने की कहावत बहुत पुरानी है, उसके बाद तो समय बदल गया, लोगों की सोच बदल गई संसाधन अत्याधुनिक हो गए लेकिन बिजली और पानी विभाग अभी भी इसी कहावत पर काम कर रहा है. अगर ऐसी बात नहीं होती तो गर्मी जब चरम पर है, इस वक्त बिजली और पानी के लिए संसाधनों का निरीक्षण अधिकारी क्यों करते. पूरे झारखंड की बात करें तो भीषण गर्मी में बिजली की मांग सर्वाधिक स्तर 2800 मेगा वाट पर अटकी हुई है. जबकि आपूर्ति 2400 मेगा वाट ही हो रही है.
जरूरत से काम हो रही बिजली आपूर्ति

धनबाद की बात करें तो जरूरत है 220 मेगा वाट की लेकिन आपूर्ति हो रही है 190 मेगा वाट. ऐसे में अधिकारी चाहे जो भी दवा कर लें लोड शेडिंग नहीं होगा तो काम कैसे चल सकता है. इसी तरह अगर समूचे झारखंड की बात करें तो 400 मेगा वाट की लोड शेडिंग की नौबत रोज आ रही है. यहां यह भी बताना सही होगा कि झारखंड में सरकारी स्तर पर केवल तेनुघाट थर्मल पावर की दो इकाइयों से लगभग 350 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. बाकी बिजली सेंट्रल पुल, एनटीपीसी ,डीवीसी, राज्य की निजी उत्पादन इकाइयों से पहले हुए समझौता के आधार पर ली जाती है. बिजली की अतिरिक्त मांग की हालत में नीलामी के आधार पर इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से महंगी दर पर लगभग ₹10 प्रति यूनिट पर बिजली खरीदनी पड़ती है. एक्सचेंज पर कई अन्य राज्यों की मांग पहुंचती है, उपलब्धता से अधिक मांग होने पर एक्सचेंज से राज्यों को जरूरत से कम बिजली मिल पाती है.

हेमंत सोरेन के आदेश के बाद हरकत में आए अधिकारी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अभी हाल ही में अतिरिक्त बिजली खरीदने का आदेश निर्गत किया है. उस आदेश के बाद कार्रवाई शुरू की गई है. 3 महीने तक अतिरिक्त बिजली खरीदी जाएगी. मुख्यमंत्री ने बीते शुक्रवार को गर्मी की हालत को देखते हुए और इस हालत में बिजली की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अगले तीन माह के लिए अतिरिक्त 600 मेगावाट बिजली खरीदने का निर्देश दिया था. इसके बाद अधिकारी हरकत में आए हैं. अधिकारी अपने संसाधनों का भी बेहतर उपयोग करें, इसके लिए भी गाइडलाइन राज्य स्तर पर जारी हुआ है. कहा गया है कि सभी जगह कंट्रोल रूम बनाया जाए, पिकावर में बिजली विभाग के वरीय अधिकारी खुद कंट्रोल रूम में मौजूद रहे और सुनिश्चित करें कि सभी लोगों को बिजली उपलब्ध हो सके.
बिजली और पनि संकट से जूझ रहा कोयलांचल
कोयलांचल की बात करें तो यहां बिजली संकट तो सालों भर रहता है. लेकिन गर्मी में स्थिति काफी बिगड़ जाती है. वही हाल पानी का भी है. कोलियरी क्षेत्र होने के कारण पानी के अधिक श्रोत होते नहीं है. ऐसे में जलापूर्ति योजनाओं पर ही लोगों को भरोसा करना पड़ता है. धनबाद शहर को मैथन जलापूर्ति योजना से 55 एमएलडी पानी मिल रहा है लेकिन जुड़को के नए कनेक्शन के कारण यह पानी अब कम पड़ने लगा है. सोमवार को जामाडोबा जल संयंत्र का भी उपायुक्त और नगर आयुक्त ने निरीक्षण किया और व्यवस्था दुरुस्त करने की हिदायत दी. इधर झारखंड में पारा लगातार चढ़ता जा रहा है. झारखंड के गोड्डा में पारा 45 डिग्री तक पहुंच गया है जबकि कोयलांचल में पारा 42 डिग्री को छू रहा है .लू के थपेड़ों से लोगों को भारी परेशानी हो रही है. ऐसे में बिजली संकट और जल संकट कोढ़ में खाज के काम कर रहे
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