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बिहार में हर वर्ष हो रहे हैं औसतन पांच हजार बच्चे लापता,बरामदगी दर पचास फीसदी से भी कम*

ByAdmin Office

Jun 7, 2022

*बिहार में हर वर्ष हो रहे हैं औसतन पांच हजार बच्चे लापता,बरामदगी दर पचास फीसदी से भी कम*

पटना. बिहार में प्रत्येक वर्ष औसतन पांच हजार बच्चे लापता होते हैं. यह संख्या उन बच्चों की है, जिनकी रिपोर्ट दर्ज हो पाती है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले तीन वर्ष के दौरान पूरे राज्य से 16559 बच्चों के गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई गयी. इनमें महज 7219 बच्चे ही बरामद हो पाये. अभी तक 9340 बच्चे गुमशुदा ही हैं. इनकी तलाश आज तक नहीं हो पायी है. इस आधार पर राज्य से गुमशुदा होने वाले कुल बच्चों में आधा से कम ही अपने घर वापस पहुंच पाये हैं.

करीब 45 फीसदी लापता बच्चे बरामद

करीब 45 फीसदी लापता बच्चे ही फिर से बरामद हो पाते हैं. पुलिस महकमे से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2019 में गुमशुदा बच्चों की संख्या 7297 थी, जिनमें 3188 बच्चे ही बरामद हो पाये और 4109 बच्चे आज तक लापता हैं. इसी तरह 2020 में 2867 बच्चे लापता हुए, जिनमें सिर्फ 1193 बच्चे ही वापस मिल पाये और 1674 बच्चे अब तक लापता हैं.

2021 में 6395 बच्चे लापता हुए

पिछले वर्ष 2021 में 6395 बच्चे लापता हुए, जिनमें 2838 बच्चे ही बरामद हुए, जबकि 3557 बच्चे अब तक लापता हैं. गुमशुदा बच्चों की इस सूची में राज्य के रेलवे पुलिस क्षेत्र जमालपुर, मुजफ्फरपुर और कटिहार भी शामिल हैं. यानी रेलवे क्षेत्र मसलन स्टेशन या ट्रेन से गुमशुदा होने वाले बच्चों की संख्या भी शामिल है. हालांकि, रेलवे क्षेत्रों से गायब होने वाले बच्चों की संख्या सामान्य क्षेत्रों की तुलना में कम है.

इन जिलों से ज्यादा लापता होते हैं

बच्चे बिहार के कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहां से सबसे ज्यादा बच्चे लापता होते हैं. इनमें पटना, गया, भागलपुर, मोतिहारी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सारण, गोपालगंज और रोहतास जिले शामिल हैं. इन जिलों में औसतन प्रतिवर्ष 200 से ज्यादा बच्चे लापता होते हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा पटना जिले से बच्चे लापता होते हैं. यहां से 2019 में 870, 2020 में 360 और 2021 में 830 बच्चे गुमशुदा हुए थे. इसके साथ ही पटना में गायब हुए बच्चों की बरामदगी दर भी पचास फीसदी से कम ही है.

बच्चों के खोने की मुख्य वजह मानव तस्करी भी

राज्य से बच्चों के खोने की मुख्य वजह मानव तस्करी भी है. ऐसी कुछ घटनाएं भी सामने आयी हैं, जिसमें बच्चों को दूसरे राज्य भेजने के मामले सामने आये हैं. कई अबोध बच्चों के रास्ते में परिजनों से बिछड़ने के कारण भी गुमशुदगी होती है. हालांकि, पुलिस महकमा के स्तर से सभी जिलों को गुमशुदा बच्चों को तलाश करने और मानव तस्करी से जुड़े नेटवर्क पर खासतौर से प्रहार करने के लिए निरंतर निर्देश दिये जाते हैं. बावजूद इसके खोये बच्चों के बरामद होने का प्रतिशत आधा से कम ही है.


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