

रिपोर्ट सत्येन्द्र यादव
कुल्टी, तीन लोक 9 खंड में गुरु से बड़ा न कोई, करता करे नो करी सके, गुरु करे से होइ। उक्त विचार रविवार को बराकर नदी तट पर श्रीसंत मत सत्संग आश्रम में स्वामी परेशानंद महराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर प्रवचन के दौरान कहीं।
बराकर गौशाला से सटे श्रीसंत मत आश्रम के स्वामी परेशानंद महराज ने कहां कि 84 लाख योनियों में भटकते हुए मानव को सारस्वत शांति प्रदान करने के लिए इश्वरीय कृपया से इस पवित्र धारा धाम में साक्षात नारायण गुरु रुप में पूणिॅमा के शुभ अवसर पर भगवान वेद व्यास का अवतार हुआ। वेदों का समुचित व्यास( विस्तार) करने के कारण एंव न भूतों न भविष्यति के ज्ञानलोक को अवलोकित करते हुए समस्त लोक लोकांतर के अधीन कइ गुरु रुप में स्वीकार किया । अत: इन्हे गुरु पूणिॅमा के रूप में जगत विख्यात के रूप में प्रगट हुआ। माना कहे जानने लगा कि इनका शुभ संकल्प समस्त देवी देवताओ संतों भगवंतों के दर्शन एंव पूजा के बाद भी पूजा शेष रह जाती हैं। किंतु गुरू पूजा होने पर किसी की पूजा करने की कमी नहीं खलती हैं। इस लिए कहां गया हैं कि गुरू पूजे सब देवन पूजे।
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना से हुई और महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर श्रीसंत मत सत्संग आश्रम कमीटी के प्रमोद भालोटिया, बहादुर बर्णवाल, राजू लोयलका, अरविंद बर्णवाल, बिनोद अग्रवाल, अर्जुन बर्णवाल, सीताराम बर्णवाल, प्रचारक शंकर रजनीवाल समेत दूर दराज से आइ बड़ी संख्या में महिलाए भी उपस्थित थी।

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