

लोकसभा चुनाव के नतीजे अब साफ हो चुके हैं. NDA गठबंधन को 291 सीटें मिली हैं. तो वहीं INDIA ब्लॉक को 234 सीटें मिली हैं. इन नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी लगातार तीसरी बार बनी है.
हांलाकि बीजेपी को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला लेकिन जब विपक्ष के पूरे इंडिया गठबंधन की 20 पार्टियों ने मिलकर 234 सीटें जीती हैं, तब बीजेपी ने अकेले अब तक के सामने आए नतीजों में 240 सीटें जीती हैं.

जहां दो बार लगातार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिलता रहा. वहां अबकी बार गठबंधन सरकार के पास तीसरी बार मौका है लेकिन विपक्ष की सीटें खूब मजबूत हुई हैं.

इन नतीजों से संसद की स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिलेगा. जहां एक ओर पिछले 10 वर्षों से लोकसभा में भाजपा का एकक्षत्र राज चल रहा था, तो वहीं अब भाजपा उस स्थिति में नहीं है कि लोकसभा में अकेले के दम पर कोई बिल भी पास करा ले. इसी के साथ कांग्रेस की स्थिति में इतना बदलाव हुआ है कि जहां 2019 में वो मुख्य विपक्षी पार्टी तक नहीं बन पाई, वो अब 2024 में 100 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
लेकिन वहीं दूसरी ओर भाजपा अपने तीसरे कार्यकाल को लेकर तैयारियों में जुट गई है. भाजपा मुख्यालय में जीत के जश्न में पहुंचे पीएम मोदी ने कहा भी कि हमारे सामने एक विकसित भारत का संकल्प है. पीएम ने कहा, तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा.
इन नतीजों को लेकर राजनेताओं से लेकर राजनीतिक जानकारों में अलग-अलग राय हैं. ऐसे में आज के नतीजों की 10 बड़ी बातें जान लेना भी जरूरी है.
1.प्रधानमंत्री मोदी का तीसरा कार्यकाल पक्का है. लेकिन आज के नतीजे उनकी उम्मीदों के विपरीत रहे हैं और NDA 300 भी पार नहीं कर पाया.
2.बीजेपी को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला लेकिन 239 सीटों के साथ वो सबसे बड़ी पार्टी रही है और चाहिए कि जब विपक्ष के पूरे इंडिया गठबंधन की 20 पार्टियों ने मिलकर 235 सीटें जीती हैं, तब बीजेपी ने अकेले 239 सीटें जीती हैं.
3.देश में गठबंधन वाली सरकार का दौर एक बार फिर से लौट आया है. इस बार लोगों ने मजबूत सरकार का नहीं बल्कि मजबूत विपक्ष का चुनाव किया है.
4.बीजेपी को हिन्दी भाषी राज्यों में जबरदस्त नुकसान हुआ और खासतौर पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को पिछली बार से 30 सीटें कम मिलीं और अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
5.उत्तर प्रदेश में राम मंदिर का मुद्दा बिल्कुल नहीं चला और बीजेपी अयोध्या में भी चुनाव हार गई. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदर जो डिवाइड था, उससे भी पार्टी को नुकसान हुआ.
6.पश्चिम बंगाल में बीजेपी ममता बनर्जी के गढ़ को भेद नहीं पाई और ममता बनर्जी ने पिछली बार से भी ज्यादा सीटें जीतकर ये साबित किया कि पश्चिम बंगाल के लोगों का भरोसा अब भी उनके साथ है.
7.इस खंडित जनादेश ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडु को अब किंगमेकर की भूमिका में ला दिया है, जिनमें नीतीश कुमार की JDU को 12 और चंद्रबाबू नायडु की TDP को 16 सीटों पर जीत मिली है और इन दोनों नेताओं के पास अब 28 सीटें हैं.
8.राजस्थान में विधानसभा के चुनाव जीतने के कुछ महीने बाद ही परिस्थितियां बदल गई और जिस राजस्थान में पिछली बार बीजेपी ने 25 की 25 सीटें जीती थीं और इसके बाद पिछले साल विधानसभा का भी चुनाव जीता था, उस राजस्थान में इस बार बीजेपी ने 14 और कांग्रेस ने 8 सीटें जीती हैं.
9.बीजेपी ने विपक्षी दलों से आए जिन दल-बदलू नेताओं पर दांव लगाया, वो दांव नाकाम हो गया और महाराष्ट्र में अजित पवार और एकनाथ शिंदे जैसे सहयोगी भी NDA को लाभ नहीं पहुंचा पाए.
10.बीजेपी को अब भी चुनाव जीतने के लिए RSS की जरूरत है और वो RSS की संगठन शक्ति को दरकिनार नहीं कर सकती. आज के नतीजों में सबकी जीत हुई है. आज EVM की भी जीत हुई है, आज लोकतंत्र की भी जीत हुई है, आज विपक्ष की भी जीत हुई है और आज सरकार की भी जीत हुई है और आज कोई हारा ही नहीं है.
इन नतीजों से एक अहम फैक्टर सामने आया कि बीजेपी और NDA को दलित, महिला और युवा वोटों का ज़बरदस्त नुकसान हुआ है और दूसरा, जिन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार नामांकन भरने के बाद बीजेपी में शामिल हुए, वो चीजें वोटर्स को अच्छी नहीं लगी.
उदाहरण के लिए, इंदौर में जहां वोटिंग से पहले कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बीजेपी में शामिल हो गए थे, वहां 2 लाख 18 हजार लोगों ने NOTA को वोट दिया है.
गौरतलब है कि इन नतीजों में एन फैक्टर भी देखने को मिला है.
NDA का ‘N फैक्टर’
इस चुनाव की शुरुआत से ही एक एन फैक्टर जुड़ा था. आजादी के बाद से अब तक पंडित जवाहरलाल नेहरू को छोड़ दें तो कोई भी प्रधानमंत्री लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल नहीं रहा है. पीएम मोदी के पास इन चुनावों में लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर पंडित नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करने का मौका था.
नमो, नीतीश और नायडू
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए तो इन नतीजों ने भी एन फैक्टर दिया है- नमो, नीतीश और नायडू. नमो यानि नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव मैदान में उतरे एनडीए को सरकार बनाने का जनादेश मिला. लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार तीसरी बार बहुमत के साथ मोदी सरकार नहीं बना पाई है.
अब एक एन यानी नेहरू की बराबरी कर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पीएम मोदी को दो अन्य एन- नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टियों के रुख पर निर्भर रहना पड़ेगा. नीतीश और नायडू के रुख से ही सरकार तय होनी है. नीतीश की अगुवाई वाले जनता दल (यूनाइटेड) को 12 और नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को 16 सीटें मिली. ये दोनों दल भी एनडीए में हैं.
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