

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कर्क संक्रांति 16 जुलाई को है। अगर पुण्य काल की बात करें तो इस दिन पुण्य काल दोपहर में 12 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ होगा और 7 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा कर्क संक्रांति पर महा पुण्य काल 5 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर, 7 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।*
*ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो यह घटना कर्क संक्रांति कहलाती है। कर्क संक्रांति से ही सूर्य देव दक्षिणायन होते हैं। आपको बता दें सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं। कहा जाता है कि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी होने लगती हैं और दिन छोटे लगने लगते हैं।*

*वहीं मान्यताओं के अनुसार, कर्क संक्रांति पर सूर्य देव और अन्य देवता गण निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। इसलिए कर्क संक्रांति पर किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ नहीं किया जाता है। लोग दक्षिणायन के समय अपने पितरों की शांति के लिए पूजन एवं पिंडदान करवाते हैं। इसलिए इस संक्रांति का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।*

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