

पंचदेवों में से एक भगवान सूर्य देव की आराधना सर्वसुख प्रदाता, सर्व शांति प्रदाता, सर्व मुक्ति प्रदाता, सर्व रोग निवारण करने वाली होती है। सूर्य को नित्य अर्घ्य देना, पूजन करना हिंदू सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है। आज हम जानते हैं सूर्य को कौन-कौन से पुष्प अर्पित करने चाहिए और कौन से नहीं।
भविष्यपुराण में बताया गया है कि सूर्यदेव को यदि एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए तो स्वर्ण की दस अशर्फियां चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। सूर्य देव पर बेला, मालती, काश, माधवी, पाटला, कनेर, जपा, यावन्ति, कुब्जक, कर्णिकार, पीली, कटसरैया, चंपा, रोलक, कुंद, काली कटसरैया, बर्बरमल्लिका, अशोक, तिलक, लोध, अरुषा, कमल, मौलसिरी, अगस्त्य और पलाश के फूल तथा दूर्वा। इसके अलावा बेल का पत्र, शमी का पत्ता, भंगरैया की पत्ती, तमालपत्र, तुलसी और काली तुलसी के पत्ते तथा कमल के पत्ते सूर्यदेव की पूजा में ग्राह्य हैं।

*कौन सा फूल सूर्य देव के लिए निषिद्ध है*

गुंजा, धतूरा, कांची, अपराजिता, भटकटैया, तगर और अमड़ा को सूर्यदेव पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
*फूलों में कौन श्रेष्ठ*
एक हजार अड़हुल के फूलों से बढ़कर एक कनेर का फूल, हजार कनेर के फूलों से बढ़कर एक बिल्वपत्र, हजार बिल्वपत्रों से बढ़कर एक पद्म, हजारों रंगीन पद्म पुष्पों से बढ़कर एक मौलसिरी, हजारों मौलसिरियों से बढ़कर एक कुश का फूल, हजार कुश के फूलों से बढ़कर एक शमी का फूल, हजार शमी के फूलों से बढ़कर एक नीलकमल, हजारां नील एवं रक्त कमलों से बढ़कर केसर और लाल कनेर का फूल होता है। यदि इनके फूल न मिले तो बदले में इनके पत्ते चढ़ाएं और पत्ते भी न मिले तो इनके फल अर्पित करना चाहिए।
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