

बिहार में कुल एनएच की लंबाई मात्र 6129.84 किलोमीटर है। इसमें पथ निर्माण विभाग के अधीन 2714.40 किलोमीटर तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधीन 3415.44 किलोमीटर सड़क है। इनमें से 543.02 किलोमीटर सड़क दो लेन से भी कम चौड़ी है। यानी इसकी चौड़ाई अधिकतम 18 फीट है।
NH के मामले में बिहार फिसड्डी, 3782 किमी राजमार्ग सिर्फ दो लेन चौड़े; कारोबार पर बुरा असर

देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार एनएच (नेशनल हाईवे-राष्ट्रीय राजमार्ग) के मामले में काफी पीछे है। मौजूदा एनएच में इसकी चौड़ाई भी कम है। पथ निर्माण विभाग की अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार राज्य के आधे से अधिक एनएच दो लेन या इससे भी कम चौड़ी है। एक चौथाई सड़क ही चार लेन चौड़ी है, जबकि छह लेन सड़क की चौड़ाई दो सौ किलोमीटर भी नहीं है। कम चौड़ी सड़क से जहां जाम की समस्या उत्पन्न होती है तो व्यापारिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ता है।

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कुल एनएच की लंबाई मात्र 6129.84 किलोमीटर है। इसमें पथ निर्माण विभाग के अधीन 2714.40 किलोमीटर तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधीन 3415.44 किलोमीटर सड़क है।
इनमें से 543.02 किलोमीटर सड़क दो लेन से भी कम चौड़ी है। यानी इसकी चौड़ाई अधिकतम 18 फीट है। वहीं 3239.64 किलोमीटर सड़क दो लेन (पेभ्ड शोल्डर) के साथ बनी हुई है। अर्थात इसकी चौड़ाई 10 मीटर यानी लगभग 33 फीट है। वहीं 1526.62 किलोमीटर सड़क चार लेन है। यानी आने-जाने के लिए दो लेन सड़क बनी हुई है, जबकि मात्र 172.66 किलोमीटर सड़क ही छह लेन है। छह लेन सड़क में पटना रिंग रोड का हिस्सा दिघवारा-शेरपुर-कन्हौली-रामनगर है। इसकी लंबाई 39.16 किलोमीटर है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश सीमा से छपरा-हाजीपुर-गांधी सेतु-बख्तियारपुर-मोकामा-बेगूसराय-खगड़िया-बिहपुर-कौरा-कटिहार-पश्चिम बंगाल सीमा सड़क में 2.76 किलोमीटर सड़क ही छह लेन है। उत्तर प्रदेश सीमा से मोहनियां-औरंगाबाद-डोभी-झारखंड सीमा सड़क 203.70 किलोमीटर लंबी है। इनमें से 130.74 किलोमीटर सड़क छह लेन है। बाकी सड़क चार लेन बनी हुई है।
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सड़क की चौड़ाई कम होने से हो रहा है यह असर
● अधिकतर नेशनल हाईवे पर लग रहा है लंबा जाम
● गाड़ियों की रफ्तार अधिक नहीं होने से खर्च अधिक
● लोगों को आने-जाने में लग रहा है अधिक समय
● राज्य की व्यापारिक गतिविधियों पर हो रहा है असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल सड़क में 647.91 किलोमीटर सड़क अभी मिसिंग लिंक है। यानी कागजों में इसे एनएच का दर्जा मिल चुका है, लेकिन अब तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
इन सड़क परियोजनाओं में 162.70 किमी लंबी वाराणसी-कोलकाता सड़क है, जो वन विभाग की आपत्ति में अटका है। इसी तरह 213.32 किमी लंबी आमस-दरभंगा और 135.10 किमी लंबी
पटना-आरा-सासाराम सड़क है। दो साल बाद भी पटना-सासाराम का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। इसी तरह जेपी
सेतु-बकरपुर-मानिकपुर-साहेबगंज-अरेराज-बेतिया में 38.11 किमी सड़क मिसिंग लिंक है। साहेबगंज-मनिहारी 11.अ69 किलोमीटर,
दिघवारा-शेरपुर-कन्हौली-रामनगर में 23 किमी,
छपरा-हाजीपुर-बख्तियारपुर-मोकामा-खगड़िया-बिहपुर-कटिहार-बंगाल सीमा सड़क में 9.68 किलोमीटर मिसिंग लिंक है। मनुवापुल-पतजिरवा-पखनाहा-पीपराघाट-सेवराही में 34.80 किमी, सीतामढ़ी के विश्वनाथ चौक-नानपुर के बीच 5.40 किमी,
सोनबरसा-सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर-हाजीपुर-पटना-जहानाबाद-गया-डोभी में 10.11 किमी और बिहारशरीफ-राजगीर-हिसुआ-गया-वजीरगंज-नवानगर-डुमरांव में चार किमी सड़क मिसिंग लिंक है।
*महत्वपूर्ण बातें*
● देश के कुल एनएच में बिहार की भागीदारी मात्र 4.04 फीसदी है।
● साल दर साल एनएच के मामले में बिहार की भागीदारी कम होती जा रही है।
● वर्ष 2005 में देश के कुल एनएच में बिहार की भागीदारी 5.4 फीसदी थी, जो अब घटकर 4.04 फीसदी हो गई है।
● देश में सबसे अधिक महाराष्ट्र में 17 हजार 757 किलोमीटर एनएच है। कुल एनएच में इसकी भागीदारी 13.40 फीसदी है।
● दूसरे पायदान पर उत्तर प्रदेश में 11 हजार 737 किलोमीटर है और कुल एनएच में इसकी भागीदारी 8.86 फीसदी है।
● तीसरे पायदान पर राजस्थान में 10 हजार 342 किलोमीटर एनएच है और देश में इसकी भागीदारी 7.81 फीसदी है।
● झारखंड में 3367 किलोमीटर तो पश्चिम बंगाल में 3664 किलोमीटर एनएच है।
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