
जिस अवैध खनन और ऑफिस ऑफ प्रोफिट (लाभ के पद) के मामले में आज हेमंत सरकार घिरी हुई नजर आ रही है, उसी मुद्दे ने एक बार फिर सिर उठाया है। अवैध खनन के मामले में साहिबगंज जिले के डेढ़ दर्जन पत्थर खदानों की लीज रद होगी। यह सूची नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला प्रशासन को भेजी है। संबंधित लीजधारकों को नोटिस भी थमाया जा चुका है।
दो दर्जन से अधिक क्रशर किए जाएंगे जमींदोज

जिन्हें नोटिस भेजा गया, उनमें ज्यादातर लीज सकरीगली, महादेवगंज व मिर्जाचौकी के हैं। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक क्रशरों को भी पूरी तरह जमींदोज करने की भी तैयारी है। मंगलवार को हुई जिला टास्क फोर्स की बैठक में सभी अंचलाधिकारियों को एक फाॅर्मेट दिया गया, जिसे भरकर उपायुक्त के यहां जमा करना है। इस फाॅर्मेट में एनजीटी की गाइडलाइन है। सभी अंचलाधिकारियों को सर्वे कर अपने-अपने यहां की पत्थर खदानों व क्रशरों की सूची देनी है। कुछ अंचलाधिकारियों ने इसके आधार पर सर्वे का काम शुरू भी कर दिया है।

गौरतलब है कि मार्च में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की उच्चस्तरीय टीम ने यहां का दौरा किया था। टीम ने सड़क व रेललाइन किनारे चल रहे क्रशरों पर आपत्ति जताई थी। इसके अलावा विभिन्न जगहों पर घनी आबादी व प्राकृतिक जलस्रोत के पास चल रही पत्थर खदानों को भी बंद करने का निर्देश दिया है। इसी आलोक में संबंधित लीजधारकों को नोटिस दिया गया है। पिछले दिनों उपायुक्त रामनिवास यादव ने भी पत्थर खदान व क्रशर संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत दिए थे।
फिलहाल राॅयल्टी पर कोई असर नहीं
अवैध खनन व परिवहन के खिलाफ साहिबगंज में चल रही ईडी की जांच के बाद बिना चालान पत्थर ढुलाई करीब-करीब बंद हो चुकी है। पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में 25 प्रतिशत ही खनन हो रहा है, लेकिन इसके बाद भी विभाग को मिलने वाले राजस्व पर अभी बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ा है। छह से सात करोड़ रुपये राॅयल्टी प्रतिमाह मिल रही है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि पिछली बार से अधिक राजस्व इस बार विभाग को मिलेगा।
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