

*तीज के दिन बहू अपनी सास को देती है बायना, जानें क्या है इस सालों पुरानी परंपरा का महत्व*
सुहागनों द्वारा रखा जाने वाला पवित्र व्रत हरियाली तीज आने वाला है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत का पालन करती हैं।

सावन में आने वाले इस हरियाली तीज के मौके पर भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना की जाती है। यह सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है जो इस वर्ष 19 अगस्त को मनाई जायेगी।

तीज के दिन बहू अपनी सास को बायना देती है। यह परंपरा सालों से चली आ रही और बदले में सास बहू को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती है। जानते हैं बायना देने की इस परंपरा के बारे में विस्तार से –
*क्या होता है बायना?*
तीज में दी जाने वाली कुछ शगुन की चीज़ों को बायना कहते हैं। इसके लिए एक कटोरी में मोंठ और बाजरा रखते हैं और उसके उपर कुछ रूपए रखते हैं। फिर इसपर पूजा की रोली और चावल चढ़ाएं। इसके अलावा थाली में साड़ी, सोलह शृंगार की चीज़ें, फल व मिठाई भी रखें। इस पूरे बायना को सास को दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
*क्यों दिया जाता है बायना?*
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और व्रत का पालन करती हैं। इसके साथ ही वे अपनी सास या ननद को बायना देती हैं। बायना लेकर सास बहू को सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद देती हैं। यह बायना सुहागन औरत को ही दिया जाता है। मान्यता है कि बायना देने की इस रीत से सास और ननद से बहू के रिश्ते मधुर बने रहते हैं।
*नोट:* यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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