

*गुरु गोबिंद सिंह जी की आज 356वीं जयंती मनाई जा रही है। गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के अंतिम 10वीं गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार की राजधानी पटना में में हुआ था। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष मास में विक्रम संवत 1723 में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इसलिए आज आज 29 दिसंबर 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जयंती पूरे देश में धूम-धाम से मनाई जा रही है। गुरु गोबिंद सिंह जी सभी वर्ग के लिए हमेशा प्रेरणा के श्रोत रहे हैं। उन्होंने कई कविताओं की रचना भी की। आज गुरु गोबिंद सिंह जी के जयंती पर जानते हैं उनके प्रेरणादायक अनमोल विचारों के बारे में।*
*गुरु गोबिंद सिंह जी का योगदान*

अपने पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद, गोबिंद सिंह जी सिखों के 10वें गुरु बने। उस वक्त उनकी उम्र महज नौ साल थी। वह एक प्रसिद्ध योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। सिख धर्म में उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया हैं। उन्होंने निर्देश पर ही आज सिख अपने बालों को पगड़ी से ढकते हैं।

*गुरु गोबिंद सिंह जी के नियम*
उन्होंने सिखों के लिए सर्वोच्च आदेश खालसा की भी शुरुआत की, जिसके चार नियम हैं: बालों के प्राकृतिक विकास को नहीं रोकना, हलाल तरीके से मारे गए मांस को नहीं खाना, अपने पति या पत्नी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ सहवास नहीं करना और तम्बाकू का उपयोग नहीं करना।
*गुरु गोबिंद सिंह जी का निधन*
1708 में निधन से पहले गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों के गुरुत्व को पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को सौंप दिया। इसलिए उनके जन्मदिन पर उनके भक्त पूजा अर्चना करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं।
*गुरु गोबिंद सिंह जयंती उत्सव*
इस दिन लोग भक्ति गीत गाते हैं और आम जनता के लिए या गरीबों के लिए जगह-जगह लंगर लगते हैं। सभी धर्म के भक्त गुरुद्वारों में जाते हैं। गली-गली में नगर कीर्तन किए जाते हैं।
*गुरु गोबिंद सिंह जी प्रेरणादायक अनमोल वचन*
1. सवा लाख से एक लड़ाऊं,
चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं,
तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं
2. सबसे बड़ा आराम और स्थायी शांति तब मिलती है,
जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को मिटा देता है।
3. यदि तुम बलवान हो, तो निर्बलों पर अत्याचार न करो,
और इस प्रकार अपने साम्राज्य पर कुल्हाड़ी मत चलाओ।
4. र्ता (सृष्टिकर्ता) और करीम (उपकारी) एक ही ईश्वर के नाम हैं।
रजाक (प्रदाता) और रहीम (दयालु) भी उनके दिए गए नाम हैं।
5. वही मनुष्य है जो अपने वचन का पालन करता है,
वह नहीं जिसके मन में कुछ और जीभ पर कुछ और है।
6. कोई मनुष्य अपनी भूल में नामों के भेद पर न लड़े।
उस एक परमेश्वर की उपासना करो जो सबका स्वामी है।
जानो कि उसका रूप एक है और वही सब में फैला हुआ एक प्रकाश है।
7. अगर आप केवल अपने भविष्य के ही विषय में सोचते रहें तो
आप अपने वर्तमान को भी खो देंगे।
8. जब आप अपने अन्दर बैठे अहंकार को मिटा देंगे
तभी आपको वास्तविक शांति की प्राप्त होगी.
9. भगवान ने हम सभी को इसलिए जन्म दिया है
ताकि हम इस संसार में अच्छे कार्य करें
समाज में फैली बुराई को दूर करें।
10. मैं उन ही लोगों को पसंद करता हूं
जो हमेशा सच्चाई के राह पर चलते हैं।
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