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_मुडा भूमि घोटाला: सीएम सिद्धारमैया हाईकोर्ट पहुंचे, मुकदमा चलाने के राज्यपाल के फैसले को दी चुनौती

ByAdmin Office

Aug 19, 2024

 

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) में हुए कथित भूमि घोटाला मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में राज्य सरकार के मुख्य सचिव, राज्यपाल के विशेष सचिव, शिकायतकर्ता टीजे अब्राहम, स्नेहामाई कृष्णा और एसपी प्रदीप कुमार को प्रतिवादी बनाया गया है.

सीएम सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने जस्टिस हेमंत चंदन गौदर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इसे प्रस्तुत किया. उन्होंने अनुरोध किया कि मामला गंभीर है. मामले के संबंध में जिन लोगों ने कैविएट दाखिल किया है, उन्हें इस बारे में सूचित कर दिया गया है. आवेदन की एक प्रति राज्यपाल कार्यालय को भी सौंपी गई है. इस संबंध में, इस पर तुरंत जांच के लिए विचार किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि वह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका पर दोपहर बाद सुनवाई करेगी.

 

सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में क्या कहा…

 

26 जुलाई 2024 को सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने राज्यपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 17 ए, 19 और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति मांगने के लिए याचिका दायर की थी. संवैधानिक पहलुओं पर विचार किए बिना ही अविवेकपूर्ण तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.

नोटिस का मुख्यमंत्री ने विस्तृत जवाब दिया था. लेकिन राज्यपाल ने 16 अगस्त को एक आदेश जारी कर कैबिनेट की सलाह के बिना उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी थी. अपने जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कानून और तथ्यों को स्पष्ट रूप से समझाया था. मगर उन पर विचार किए बिना मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई. राज्यपाल की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय का स्पष्ट उल्लंघन, गैर-विवेकाधीन और पीसी एक्ट की धारा 17 ए, 19 और बीएनएसएस की धारा 218 के प्रावधानों के विपरीत है.

याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल ने जानबूझकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जवाब को नजरअंदाज कर दिया और अभियोजन की अनुमति दे दी. यह एक गलत निर्णय और जल्दबाजी में लिया गया और असंवैधानिक निर्णय है. इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. अगर इस आदेश पर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता की गरिमा को अपूरणीय क्षति होगी. साथ ही, मुख्यमंत्री कार्यालय का कामकाज भी बाधित होगा. सीएम सिद्धारमैया ने अंतरिम राहत मांगी है कि राज्यपाल के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए.


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