

*नयी दिल्ली :* हर बार की तरह इस बार भी 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जा रहा है. दुनिया के तमाम देशों और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को बढ़ावा देने ले लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 1981 में इसकी शुरुआत की
हर साल 21 सितंबर को पूरे देश में विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. दुनिया भर में हिंसा और संघर्षों को रोकते हुए शांति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस या विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. हर साल संयुक्त राष्ट्र इस दिन के लिए एक विषय का चयन करता है जो शांति-निर्माण और संघर्ष समाधान के विशिष्ट पहलुओं पर केंद्रित होता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व शांति का अर्थ केवल हिंसा न होना नहीं है, बल्कि ऐसे समाजों का निर्माण है जहां सभी को यह अहसास हो कि वे आगे बढ़ सकते हैं.
*क्या है इतिहास*

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 सितंबर, 1981 को प्रस्ताव 36/67 पारित किया, जिसमें वैश्विक युद्धविराम और उस दिन सभी शत्रुताएं समाप्त करने का आह्वान किया गया. इस तरह प्रत्येक वर्ष सितंबर के तीसरे मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में घोषित किया गया. पहला अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस 21 सितंबर, 1982 को मनाया गया था और यह शांति को बढ़ावा देने और दुनिया भर में शांति प्रयासों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन बाद में 2001 में आधिकारिक तिथि 21 सितंबर घोषित की गई. उससे पहले तक यह वार्षिक महासभा के उद्घाटन सत्र, सितंबर के तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था.

*क्या है इसका महत्व?*
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का उद्देश्य शांति और संघर्ष समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को याद दिलाना है और व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों को अधिक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण दुनिया की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है. यह लोगों और राष्ट्रों के बीच संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन बना हुआ है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि सच्ची शांति में न केवल हिंसा की अनुपस्थिति शामिल है बल्कि “ऐसे समाज का निर्माण भी शामिल है जहां सभी सदस्यों को लगता है कि वे फल-फूल सकते हैं.”
यह एक ऐसी दुनिया का निर्माण करने का भी प्रयास करता है जहां सभी के साथ उनकी जाति की परवाह किए बिना समान व्यवहार किया जाता है और यह दिन “सभी मानवता के लिए सभी मतभेदों से ऊपर शांति के लिए प्रतिबद्ध होने और शांति की संस्कृति के निर्माण में योगदान करने के लिए विश्व स्तर पर साझा तारीख” प्रदान करता है.
*कैसे कबूतर बने शांति के प्रतीक?*
इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां हैं. माना जाता है कि ‘बाइबल’ के एक प्रसंग में भयानक बाढ़ के समय कबूतर मानवता की सहायता के लिए प्रकट हुए थे. वहीं एक कहानी यह भी है कि मशहूर स्पेनिश कलाकार ‘पाब्लो पिकासो’ द्वारा अपनी पेंटिंग्स में कबूतरों के उपयोग ने शांति के दूत के तौर पर उनकी लोकप्रियता बढ़ाने में व्यापक योगदान दिया. युद्ध की त्रासदी दर्शाने वाली उनकी प्रसिद्ध Guernica पेंटिंग में, कबूतरों को घायल घोड़ों और मवेशियों को मरहम लगाते दिखाया गया है. इसके अलावा, 1949 में पिकासो ने पेरिस में एनएफ। आयोजित वर्ल्ड पीस कांग्रेस के लिए बनाए एक पोस्टर में सफेद कबूतर का चित्र उकेरा था.
There is no ads to display, Please add some





Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com