

*अबैध कारोबारियों के कारण झारखंड में पहाड़ो और नदियों का अस्तित्व संकट में*
धनबाद : झारखंड की शस्य शयमला धरती पर अवैध कारोबारियों की बुरी नजर पड़ गयी है। अबैध क्रशर को चलाने के लिए हरे भरे जंगल धीरे धीरे खत्म खत्म किया जा रहा हैं.

आज अबैध कारोबारी पहाड़ों की सीना चीरकर सैकड़ों फीट की खुदाई कर पत्थर निकाल रहे हैं . इस धंधे में करोड़ों अरबों रुपये बहाये जा रहे हैं. इन क्रशरों की वजह से पर्यावरण और जनजीवन को तो नुकसान हो रहा है, सरकार को राजस्व की भी भारी क्षति हो रही है.

ज्यादातर क्रशर संचालकों के पास तो प्रदूषण बोर्ड का एनओसी तक नहीं है. एक्सप्लोसिव और लेबर लाइसेंस की कौन कहे. यहां पर तो हर अवैध धंधा बिना किसी कागजात के परवान चढ़ा हुआ है.
इन क्रशरों में जब विस्फोट होता है तो इसकी धमक से आम आदमी की छोड़िए, कंक्रीट के मकान तक हिल जाते हैं. तोपचांची प्रखंड की अमलखोरी पत्थर खदान इसका उदाहरण है. यहां प्रतिदिन आठ से दस बार हैवी ब्लास्टिंग की जाती है. धमाके से धनबाद तथा गिरिडीह जिले का बड़ा इलाका दहल जाता है.
निमियाघाट थाना क्षेत्र के शहरपुर तथा धनबाद में हरिहरपुर थाना के सिंहडीह गांव के 75 फीसदी मकानों में दरार पड़ चुकी है. धूल उड़ने से कोरकोट्टा, खांटडीह, शाखाटंडा, अमलखोरी तथा सिंहडीह की करीब 200 एकड़ से अधिक जमीन पर पिछले कई वर्षों से खेती बंद है. धनबाद जिला के चार प्रखंडों गोविंदपुर, तोपचांची, टुंडी व बलियापुर में दर्जनों क्रशर चल रहे हैं. इनमें से लगभग दो दर्जन क्रशर संचालकों के पास खनन विभाग का लीज है.
छोटी नदियों का सिमट रहा दायरा
अवैध तरीके से हो रहे खनन के चलते नदियों का दायरा सिमटता जा रहा है. ओबी डंप का पहाड़ खड़ा हो रहा है. कुछ वैध लीज के आधार पर दर्जनों अवैध क्रशर चल रहे हैं. कई इलाकों में 24 घंटे की पाली में काम होता है. पहाड़ काट कर पत्थर का खनन होता है. कहीं दिन के उजाले तो कहीं रात के अंधेरे में यह काम चल रहा है. क्रशर के आस-पास की सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो चुकी है. खेतीबारी चौपट हो गयी है.
गोविंदपुर, तोपचांची, टुंडी व बलियापुर में दर्जनों क्रशर चल रहे हैं. इनमें से लगभग दो दर्जन संचालकों के पास खनन विभाग का लीज है. उसकी आड़ में ही आस-पास के इलाकों में भी पहाड़ों की कटाई हो रही है. पहाड़ों को काट कर निकाले जा रहे पत्थर की ढुलाई में परेशानी न हो तथा ट्रांसपोर्टेशन लागत कम हो, इसलिए समीपवर्ती इलाकों में ही क्रशर मशीन लगायी जा रही है. पत्थरों के अवैध खनन से खेत तो बंजर हो रहे हैं. राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपये के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है.
*पत्थर काटने के लिए हो रहे हैं पोकलेन, ड्रिल का प्रयोग*
गोविंदपुर प्रखंड की कंचनपुर पंचायत के मंडरो गांव में गोल पहाड़ी में 24 घंटे पहाड़ कटाई का काम चल रहा है. शनिवार को दिन में यहां लगभग एक दर्जन पोकलेन लगी हुई थी. ड्रिलिंग मशीनें भी चल रही थीं. आधा दर्जन से ज्यादा जेसीबी मशीनें खड़ी थीं. ग्रामीणों की मानें तो यहां 24 घंटे अवैध खनन का काम चलता है.
यहां पर मजदूर, ऑपरेटर शिफ्टवार काम करते हैं. एक शिफ्ट सुबह छह से शाम छह तथा दूसरी शाम से पूरी रात काम करती है. ब्लास्टिंग का काम ज्यादातर रात में ही होता है, जबकि पत्थरों की ढुलाई 24 घंटे ट्रैक्टर से होती है. यहां लगभग आधा दर्जन कंपनियों के पास लीज है. लेकिन, लीज क्षेत्र के आस-पास कई अवैध क्रशर भी चल रहे हैं.
चार दशक पहले हरा-भरा था क्षेत्र
गोल पहाड़ी इलाका चार दशक पहले हरा-भरा था. पहाड़ पर बड़ी संख्या में पेड़ थे. ग्रामीण यहां पशु चराने आते थे. 1980 के बाद यहां माइनिंग विभाग ने पत्थर खनन के लिए लीज देना शुरू किया गया. अब यह पहाड़ कट कर केवल ढांचा रह गया है. पेड़ तो नहीं के बराबर रह गये हैं. बगल में बहने वाली कतरी नदी को अतिक्रमित कर नाला बना दिया गया है. नदी में पत्थरों का अवशेष गिरा हुआ है. आसपास ओबी बन गया है.
There is no ads to display, Please add some





Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com