

*गोविंदपुर,गोसाइंडीह में स्वतंत्रता सेनानी महावीर प्रसाद महतो की मनाई गयी पुण्यतिथि,प्रमुख लोगों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि*
गोविंदपुर: स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी एवं शिक्षाविद महावीर प्रसाद महतो की 26वीं पुण्यतिथि धनबाद के गोसाईडीह स्थित उच्च विद्यालय में मनाई गई. जहां गांधीवादी विचारक वीरेंद्र प्रसाद सिंह ,आम आदमी पार्टी प्रदेश संयोजक श्री डीएन सिंह, एनपी सिंह , राजकुमार गिरी, टहल नारायण गिरी एवं शत्रुघ्न ओझा समेत कई लोगों
ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

मीडिया से बात करते हुए डीएन सिंह ने कहा वे महान गांधीवादी नेता थे जिन्होंने स्वधीनता आंदोलन के साथ हीं आजादी के बाद इस क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाया।

झारखंड कल्याण मंच के अध्यक्ष राजकुमार गिरी एवं वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बिहार के मधुबनी जिले से अंग्रेजों से छुपते-छुपाते महावीर प्रसाद महतो धनबाद के गोसाईडीह पहुंचे थे. यहां पर प्रयाग गोस्वामी समेत कई अन्य ग्रामीणों ने उन्हें कस्तूरबा आश्रम के नाम पर जमीन दान दिया. जिस पर उन्होंने उच्च विद्यालय, आदिवासी छात्रावास और कस्तूरबा गांधी आश्रम की स्थापना की. इसके अलावा गोविंदपुर में उच्च विद्यालय एवं आरएस मोर में कॉलेज की स्थापना की. उनके आगमन से पूर्व इस इलाके में अधिकतम लोग मैट्रिक फेल हुआ करते थे, यही देखकर उन्होंने यहां पर शिक्षा की अलख जगाई.
मैट्रिक फेल होने की डिग्री ही इलाके में सबसे बड़ी डिग्री मानी जाती थी. शिक्षाविद महावीर प्रसाद महतो लोगों को स्वच्छता से जोड़ने के लिए स्वयं ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़ू लगाया करते थे.लोग उन्हें दूसरा गांधी कहते थे.
महावीर प्रसाद महतो का जन्म फरवरी 1923 को हुआ था. वह वर्तमान में मधुबनी के जयनगर के रहने वाले थे जो संयुक्त बिहार के समय में दरभंगा जिले में पड़ता था,अब जयनगर मधुबनी जिला में है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महतो जी सबसे पहले 1945 में कोलकाता के लोयलका परिवार के यहां अंग्रेजों से छुपने के लिए पहुंचे थे. जहां उन्हें अंग्रेजों से छिपने के लिए शरण नहीं मिली. जिसके बाद वह कोलकाता से निकल पड़े और वर्तमान में धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड के गोसाईंडीह गांव पहुंचे. जहां पर उन्हें इस गांव में प्रयाग गोस्वामी, शंकर गोस्वामी, काशी गोस्वामी और बद्री गोस्वामी द्वारा अंग्रेजों से छुपने के लिए शरण दी गई. उस जमाने में वह मैट्रिक पास थे. जिस कारण उन्होंने धीरे-धीरे यहां के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देनी शुरू कर दी और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे. उन्होंने 60-70 के दशक में स्वच्छता को लेकर इलाके में एक अलग ही मुहिम छेड़ दी. जिस कारण स्वच्छता को लेकर काफी लोग जागरूक भी हुए. वह झाड़ू लेकर खुद ही झाड़ू लगाया करते थे जिसके सम्मान में लोगों ने झाड़ू उठाना शुरू कर दिया लोग उन्हें इस इलाके में दूसरी गांधी के नाम से जानते थे.
बाद में उन्होंने शिक्षा को लेकर एक अलग ही अलख जगा दी. कुल मिलाकर गोविंदपुर और टुंडी इलाके में छोटे बड़े स्कूल और कॉलेज को मिलाकर लगभग दर्जनों स्कूल कॉलेज का निर्माण उन्होंने करवाया. जिसे बाद में सरकार द्वारा मान्यता भी दी गई. स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण महावीर प्रसाद महतो को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1974 को ताम्रपत्र देककर सम्मानित भी किया गया था.
अंत में महावीर प्रसाद महतो कुछ अमिट यादों को छोड़कर 27 मई 1996 को दुनिया को अलविदा कह गए. आज भी उन्हें एक महापुरुष के तौर पर इलाके में याद किया जाता है.
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