
ईचागढ़ थाना क्षेत्र के डुमटांड मोड़ पर मंगलवार देर रात अवैध बालू परिवहन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। JLKM नेता तरुण महतो और उसके समर्थकों पर पुलिसकर्मी व चौकीदार के साथ मारपीट करने का आरोप है, वहीं ग्रामीणों और सूत्रों के आधार पर ईचागढ़ पुलिस की गतिविधियों पर भी गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
घटना कैसे बढ़ी—ग्रामीणों की शिकायत से शुरू हुई पूरी कहानी

विश्वस्त ग्रामीण सूत्रों के अनुसार, देर रात क्षेत्र में अवैध बालू परिवहन की सूचना मिलने पर JLKM नेता तरुण महतो दो वाहनों—एक स्कार्पियो और एक बोलेरो—से अपने समर्थकों के साथ डुमटांड पहुंचे। वहां करीब 40–45 बालू लदे हाइवा कतारबद्ध खड़े मिले।

इसी दौरान तरुण महतो ने देखा कि ईचागढ़ थाना का आरक्षी नरेश यादव और एक चौकीदार कागजात से संबंधित एंट्री कर रहे थे। ग्रामीणों का दावा है कि दोनों कर्मचारी वाहनों की सूची—कौन–कौन से वाहन चलने वाले हैं और किनका “एंट्री” नहीं है—तैयार कर रहे थे।
JLKM नेता और पुलिसकर्मी के बीच तीखी नोकझोंक
वायरल वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि तरुण महतो आरक्षी नरेश यादव से पूछताछ करते हुए नाराज नजर आते हैं—कि वह रात के समय इतनी दूर, अकेले, बालू लदे वाहनों के बीच क्या कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, बहस बढ़ी और स्थिति हिंसक हो गई। JLKM समर्थकों की भीड़ ने कथित तौर पर आरक्षी और चौकीदार के साथ मारपीट की, जिसमें दोनों घायल हुए। कई स्थानीय लोग इसे “स्पष्ट रूप से कानून तोड़ने की घटना” मान रहे हैं।
बालू कारोबारियों का जमावड़ा, दो पक्षों में झड़प
घटनास्थल पर वाहनों को रोके जाने की सूचना मिलते ही दो दर्जन से अधिक बालू कारोबारी मौके पर पहुंच गए और JLKM समर्थकों के साथ झड़प हो गई। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती देख तनाव और बढ़ गया।
थाना प्रभारी पहुंचे, भीड़ हटाने के लिए हवाई फायरिंग की चर्चा
थाना प्रभारी विक्रमदित्यदेव पांडेय दलबल के साथ पहुंचे। स्थानीय लोगों का दावा है कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की गई, हालांकि पुलिस इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रही है। इसके बाद तरुण महतो सहित कई लोगों को हिरासत में ले जाया गया।
इधर, पुलिस के पहुंचते ही सभी बालू लदे हाइवा मौके से फरार हो गए।
पुलिस पर भी गंभीर आरोप, कई पुराने प्रश्न अब और गहरे
इस घटना ने ईचागढ़ पुलिस की भूमिका पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं— आखिर देर रात आरक्षी नरेश यादव थाना से 5 किमी दूर अकेले क्या कर रहे थे? वे बालू लदे वाहनों की गिनती और नंबर मिलान क्यों कर रहे थे? क्या यह सामान्य प्रक्रिया थी या कुछ और?
इससे पहले भी स्थानीय वैध बालू कारोबारी उपायुक्त से शिकायत कर चुके हैं कि ईचागढ़ थाना क्षेत्र में अवैध वसूली और मिलीभगत का आरोप है। प्रति वाहन “चढ़ावा” जैसी बातें भी चर्चाओं में रही हैं, जिनकी आधिकारिक जांच अभी तक लंबित है।
पूरे मामले में एक ओर JLKM नेता और उसके समर्थकों द्वारा कथित हिंसा और कानून हाथ में लेने की घटना साफ दिखाई देती है, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मियों की देर रात मौजूदगी और उनके कागजात मिलान की गतिविधियां भी जांच का विषय बन गई हैं।
अब गेंद पुलिस प्रशासन और जिला अधिकारियों के पाले में है—क्या वे दोनों पक्षों के आरोपों की निष्पक्ष जांच कर पाएंगे?
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