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चांडिल: नारायण आईटीआई में बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर ‘उलगुलान’ को किया गया याद; संस्थापक डॉ. जटाशंकर बोले- उनका जीवन न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई का प्रतीक

Byadmin

Nov 15, 2025

 

सरायकेला: आज नारायण आईटीआई लुपुंगडीह, चांडिल में आदिवासी समाज के महानायक, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के संस्थापक एवं भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य डॉ. जटाशंकर जी ने दीप प्रज्वलन कर किया और बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

बिरसा मुंडा: चेतना के प्रतीक

डॉ. जटाशंकर जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा सिर्फ एक महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक थे। उन्होंने आदिवासी समाज को एकजुट कर अंग्रेजी शासन के खिलाफ ऐतिहासिक ‘उलगुलान’ आंदोलन का नेतृत्व किया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन संघर्ष, न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई का प्रतीक है, जो भारत के हर युवा के लिए प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त करता है। उनके विचार आज भी जल–जंगल–जमीन की सुरक्षा और आदिवासी अधिकारों के प्रतीक के रूप में जीवित हैं।

मुख्य उपलब्धियां और जनजातीय गौरव दिवस

श्री पांडे जी ने कहा कि कम उम्र में ही उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाई और अपनी असाधारण नेतृत्व क्षमता के कारण जनजातीय समाज के बीच भगवान के रूप में पूजे जाने लगे।

उन्होंने मुक्तिबोध की मुख्य उपलब्धियां बताते हुए कहा कि उन्होंने:

अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातीय समाज के सबसे बड़े उलगुलान का नेतृत्व किया।

मुंडा समुदाय के सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक सुधार के अग्रदूत बने।

जल–जंगल–जमीन के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिरसा मुंडा भारतीय इतिहास में एक अमर क्रांतिकारी के रूप में स्थापित हैं और उनकी जयंती 15 नवंबर को देशभर में “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाई जाती है।

कार्यक्रम के समापन पर सभी ने समाजसेवा, शिक्षा, संस्कृति संरक्षण और जनकल्याण के संकल्प के साथ भगवान बिरसा मुंडा के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया।


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