
बिहार चुनाव 2025 के करीब आते ही राजनीति में ‘विकास बनाम बुर्के’ का विवाद गरमा गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ ने बिहार में महागठबंधन पर तीखा हमला किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद, कांग्रेस और उनके सहयोगी दल मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनी महिलाओं की पहचान से संबंधित निर्वाचन आयोग के निर्देशों का विरोध कर ‘विकास बनाम बुर्के’ की शरारत कर रहे हैं।

योगी ने भ्रष्टाचार और फर्जी मतदान को लेकर विपक्ष को निशाना बनाया और कहा कि वे फर्जी मतदाताओं को वोट डालने देना चाहते हैं। उन्होंने ईवीएम के खिलाफ विपक्ष की आलोचना करते हुए पुराने बैलेट पेपर के दौर को लौटाने की कोशिश का आरोप लगाया, जब बूथ लूटना संभव था।

बीजेपी की मांग है कि बुर्का पहनकर मतदान कर रही महिलाओं की पहचान सख्ती से की जाए ताकि फर्जी वोटिंग रोकी जा सके। इस पर राजद और कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश बताया है।
इस विवाद के अलावा चुनाव में विकास, रोजगार, पलायन और जाति-समाज के मुद्दे भी खास भूमिका निभा रहे हैं। एनडीए का दावा है कि उनके शासन में बिहार विकास की राह पर है, जबकि विपक्ष युवाओं को सरकारी नौकरियों और बेहतर भविष्य का वादा कर वोट मांग रहा है। बिहार की जनसंख्या के बड़े हिस्से के लिए बेरोजगारी और भ्रष्टाचार भी चुनाव के महत्वपूर्ण मुद्दे बने हुए हैं।ऐसे में इस चुनाव में ‘विकास बनाम बुर्के’ विवाद सिर्फ राजनीतिक शरारत नहीं बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक बहस का रूप ले चुका है जो बिहार के मतदाताओं की सोच और राजनीतिक ध्रुवीकरण को प्रभावित कर रहा है!
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