

एक वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में विचरण करता है। जब ये ग्रह एक से दूसरी राशि में जाता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। जिस राशि में सूर्य आता है उसी के नाम से संक्रांति होती है। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए साथ ही इस दिन स्नान-दान जैसे शुभ काम करने की भी परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को है। इस दिन दिन त्रिपुष्कर और प्रीति योग का निर्माण भी हो रहा है। कुंभ संक्रांति के दौरान गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समान ही महत्व बताया गया है।
कुंभ संक्रांति 2022 मुहूर्त

कुंभ संक्रांति आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 03:41 बजे
पुण्यकाल आरंभ: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 मिनट से
पुण्यकाल समाप्त: 13 फरवरी, रविवार, दोपहर12:35 मिनट पर.
महापुण्यकाल: 13 फरवरी, रविवार, प्रातः 07:01 बजे से प्रातः 08:53 तक

There is no ads to display, Please add some





Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com