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पुराणों के अनुसार भीष्म द्वादशी व्रत करने से जहां मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ यह व्रत रखने से समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला माना गया है। इस व्रत की पूजा एकादशी के उपवास के समान ही की जाती है। इस दिन पूर्वजों का तर्पण करने का विधान है।

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Feb 13, 2022

मान्यतानुसार माघ शुक्ल द्वादशी सुख-सौभाग्य, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। यह व्रत रोगनाशक माना जाता है। इसे गोविंद द्वादशी तथा तिल बारस के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन श्रीहरि विष्णु, भीष्म पितामह तथा पितृ देवता की विधि-विधान के साथ पूजा तथा तिल से हवन तथा तिल का दान करना चाहिए। प्रसाद में तिल और तिल से व्यंजन, लड्डू आदि अर्पित करना चाहिए।

मंत्र- ॐ नमो नारायणाय नम:

भीष्म द्वादशी के मुहूर्त-

रविवार, 13 फरवरी 2022
शुक्ल तिथि द्वादशी-नक्षत्र आर्द्रा
त्रिपुष्कर योग में भीष्म, गोविंद तथा तिल द्वादशी पर्व।

शुभ समय-9:11 से 12:21 मिनट तक तथा 1:56 से 3:32 मिनट तक।

राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक।


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