

आईआईटी आईएसएम धनबाद ने एक और उपलब्धि हासिल की है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के वैज्ञानिकों ने कीटनाशक छिड़काव की नयी तकनीक विकसित की है. इससे कम कीटनाशक से अधिक फायदा मिलेगा.
IIT ISM धनबाद: धनबाद-अब खेती और भी सुरक्षित और किफायती होगी. आईआईटी आईएसएम धनबाद के मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अनूठी कीटनाशक छिड़काव तकनीक विकसित की है, जो कम मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करके अधिकतम प्रभाव उत्पन्न करेगी. इससे न केवल फसलें बेहतर होंगी, बल्कि पर्यावरण और किसानों की सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.

कैसे काम करती है यह नयी तकनीक?

प्रो दीपक कुमार मंडल और उनकी टीम ने कीटनाशक छिड़काव का नया तरीका खोजा है. इस तकनीक में कम मात्रा में कीटनाशक की बूंदें पत्तों पर समान रूप से फैलकर पूरी तरह प्रभावी साबित होती है. इसके विशेष डिजाइन में जाली का उपयोग किया जाता है. इससे कीटनाशक की बूंदें सूक्ष्म कणों में टूटकर पत्तों की सतह पर अच्छे से फैलती हैं. प्रो दीपक कुमार मंडल बताते हैं कि यह शोध सतत कृषि की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. यह तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है और खेती को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बना सकती है.
शोध से सामने आये महत्वपूर्ण निष्कर्ष
बड़े आकार की बूंदें जब जाली से गुजरती हैं, तो वे सूक्ष्म बूंदों में टूटकर पत्तों पर बेहतर ढंग से फैलती हैं. इसके साथ ही ऊंचाई से गिरने वाली बूंदें ज्यादा बिखरती हैं. इससे कीटनाशक की बर्बादी कम होती है. इससे कम नुकसान होता है. कम कीटनाशक में भी फसलों को अधिक सुरक्षा मिलती है. इससे मृदा के अंदर कीटनाशक कम जाता है. इसे भूमिगत जल भंडार का प्रदूषण भी कम होता है. इससे बेहतर फसलें मिलेंगी. इसके साथ ही खाने में कम रसायन होगा और ज्यादा पोषण मिलेगा.
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