

*हास्यास्पद : एक ही भवन में चल रहा दो विद्यालय,दो प्रधानाचार्य, एक ही वर्ग के दो अलग कक्षाएं, मध्यान्ह भोजन भी दो अलग अलग*
*झरिया (धनबाद):* धनबाद शिक्षा विभाग की लीला व माया सुन आप भी हैरान हो जाएंगे। एक भवन में ही दो विद्यालय, दो प्रधानाचार्य, एक ही वर्ग के दो अलग कक्षाएं, मध्यान्ह भोजन भी दो अलग अलग बनता है। सुनने में तो यह काफी अटपटा सा है। लेकिन यह बिल्कुल सच है। जी हां ऐसा ही कुछ नजारा धनबाद जिला के झरिया विधानसभा अंतर्गत पाथरडीह क्षेत्र की है। जहां शिक्षा विभाग की लापरवाही की बानगी देखते ही बनती है। यहां राजकीयकृत मध्य विद्यालय सुतुकडीह पाथरडीह के भवन में एक साथ दो मध्य विद्यालय संचालित हो रही है। एक सुतुकडीह की तो दूसरा राजकीयकृत मध्य विद्यालय सुदामडीह की। सुतुकडीह में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है।
यहां 12 शिक्षकों के स्वीकृति पद में आठ ही शिक्षक हैं। जिनमे दो सहायक शिक्षक हैं। गणित, संस्कृत व अंग्रेजी के शिक्षक नही है। विद्यालय में कुल 407 छात्र व आठ कमरों हैं। जिसमे दो की हालत काफी जर्जर हैं। जबकि छह कमरों की हालत कुछ ठीक है। लेकिन उन कमरों में भी दरारे पड़ गई हैं। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य अर्जुन कुमार शर्मा ने बताया कि फिलहाल पांच कमरों में पढ़ाई कराई जा रही है। जबकि तीन कमरों में मध्य विद्यालय सुदामडीह संचालित की जा रही है। कमरों की कमी, शौचालय व पानी के कारण दिक्कतें होती है।
मध्य विद्यालय सुदामडीह के 178 छात्र हैं। यहां सात शिक्षकों में पांच शिक्षक कार्यरत हैं। जिसमे दो सहायक शिक्षक हैं। लेकिन संस्कृत, अंग्रेजी व हिंदी के शिक्षक नही है। तीन कमरों में आठ कक्षाएं संचालित होती है। जिसमे दो कमरे काफी जर्जर होने के कारण दुर्घटना को आमंत्रण दे रही है। हल्की सी भी बारिश में कमरे के छत से पानी टपकने लगता है। ज्यादा बारिश होने पर मानो कलास रूम तालाब बन जाता है। कमरे में कक्षा एक व दो के 26 छात्र नीचे दरी पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। वहीं उक्त कमरे में प्रधानाचार्य कार्यालय, स्कूल के जरूरी कागजात व बच्चों का एमडीएम (भोजन) भी इसी में बनता है।
बच्चो के बगल में गैस सिलेंडर में भोजन बनने से कभी भी खतरा हो सकता है। कमरे व बरामदे की छत कई स्थानों पर आए दिन झड़कर गिर रहे हैं। दूसरा कमरा भी काफी जर्जर है। इसमें कक्षा 3, 4 व 5 के 74 बच्चे पढ़ते हैं। जबकि तीसरे कमरे की हालत कुछ बेहतर है। जहां कक्षा 6, 7 व 8 के 78 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यह कलास रूम के साथ भंडार गृह के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमे एमडीएम का अनाज, बच्चो की नई व पुरानी किताबे भी रखी गई हैं। विद्यालय प्रभारी प्रधानाचार्य सुजीत कुमार महतो ने कहा कि स्कूल के सुतुकडीह में आने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। तीन जर्जर कमरों में जैसे तैसे पढ़ाई कराई जा रही है। जिससे डर बना रहता है। शौचालय व पानी की दिक्कत है। स्कूल के पोषक क्षेत्र के बच्चों को काफी दूर आना पड़ रहा है। वहीं सुदामडीह मेन कालोनी स्थित पंचायत भवन में स्कूल को शिफ्ट कराने की मांग की गई है।
स्कूल के सुलभ शौचालय की स्थिति काफी जर्जर है। करीब 600 स्कूली छात्र छात्राओं के लिए एक शौचालय है। जिसमे एक बार में सिर्फ दो छात्र व छात्राएं ही जा सकती हैं। जो परेशानियों का कारण बन है। छात्रों को शौचालय के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता है। वहीं विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए भी शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है।
सुदामडीह मध्य विद्यालय की स्थापना साल 1987 में हुआ था। शुरुआत में यहां एक से पांच तक कि पढ़ाई होती थी। बाद में इसे मध्य विद्यालय कर दिया गया। विभाग ने बिना स्थल का जांच व एनओसी लिए साल 2005 व 2011 में लाखो रुपए खर्च कर अग्नि प्रभावित भू धंसान क्षेत्र में स्कूल का दो मंजिला भवन बना दिया। वहीं बीसीसीएल इजे एरिया प्रबंधन ने उक्त क्षेत्र में फायर परियोजना खोल दिया है। इसके कारण बीसीसीएल प्रबंधन ने सुरक्षा दृष्टिकोण से स्कूल प्राचार्य व धनबाद जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र देकर अन्यत्र स्थानांतरण की मांग की थी। वहीं कोरोना के दौरान स्कूल बंद था। जिसे खुलने के बाद शिक्षा विभाग ने विद्यालय को सुतुकडीह में शिफ्ट करा दिया
सुदामडीह विद्यालय अग्नि प्रभावित व भू धंसान क्षेत्र में आने के कारण सुतुकडीह विद्यालय में शिफ्ट किया गया है। लेकिन वहां भी भवन जर्जर है। जिससे दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। इसे लेकर जिला शिक्षा विभाग को पत्र भेजा गया है। आदेश आने के बाद कारवाई की जाएगी।

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