

*विज्ञान और चिकित्सा जगत के लिए रहस्य बने 90 वर्षीय संत का निधन,76 वर्षों से नही ग्रहण किया था अन्न और पानी,उनकी कहानी जानने के लिए पढिये पूरी खबर*⁸
(विनोद आनंद)
वे अद्भुत थे,अविश्वसनीय भी,उनकी दिनचर्या ने सिर्फ दुनिया के लिए एक चुनोती बन गयी बल्कि विज्ञान की जड़े हिला दी थी।कल उनका निधन हो गया।वे अभी 90 साल के थे। हम बात कर रहे हैं प्रह्लाद जानी की।जो गुजरात काठियावाड़ जिले में रहते थे।कल उन्होंने अपनी जिन्दगी से मोक्ष प्राप्त कर ली।लेकिन छोड़ गए पीछे एक रहस्य जो चिकित्सा विज्ञान के लिए एक रहस्य है।दुनिया भर के वैज्ञानिक उस रहस्य पर अनुसंधान कर रहे हैं फिर भी वह अनसुलझा पहेली रह गया।

अगर संत “प्रह्लाद जानी” की बात करें तो वे वह इंसान थे जिन्होंने 76 सालो से जीवन मे कुछ नही खाया और न ही कुछ पिया, फिर भी ता उम्र जीवित रहे। डॉक्टर इन पर शोध कर करके थक गए मगर कुछ न मिला। भारतीय सेना के डॉक्टर्स की टीम ने इन्हें 15 दिनों तक एक ऐसे कमरे में बंद रखा जहां कुछ भी नही था, सिवाय बिस्तर के। इनके कमरे में सीसीटीवी फुटेज लगाए गए। 15 दिन बाद इन्हें चेक किया तो सब कुछ नार्मल था, डॉक्टर भी हैरान थे। फिर देश विदेश के डॉक्टर्स की टीम ने इन पर अलग अलग शोध किये मगर उन्हें कोई रिजल्ट न मिला कि कैसे कोई इंसान इतने सालों से बिना खाये पिये जीवित रह सकता है।

गुजरात काठियावाड़ जिले में रहने वाले ये संत कल जीवन से मुक्ति पाकर आने प्राण वायु के साथ ब्रह्मांड में विलीन हो गए।न तो उनका बहुत बड़ा आश्रम था नही भक्तों की भीड़, ना तो करोड़ों की मठ और नही दिन रात चर्चा में रहने वाले व्यक्तित्व फिर भी वे हमेशा लोगों के लिए अद्भुत अविश्वसनीय थे।
इनके अनुसार कहे गए जो इनकी कहानी सामने आए हैं उसके अनुसार जब वे मात्र 9 वर्ष के आयु में थे तभी से भगवान श्रीनाथ (कृष्ण) की ये पूजा करते थे। एक दिन अचानक भगवती महामाया (काली) प्रगट हुई और इन्हें वरदान मांगने को कहा, इन्होंने मांगा की इन्हें कभी भूंख प्यास नही लगे ! देवी ने तथास्तु बोलते हुये वरदान दिया। तब से ये बिना अन्न जल के रहने लगे। इनकी तालु से अमृत गिरता था। इनका न बड़ा आश्रम, न ही अरबो की दौलत ! मगर प्रह्लाद जानी ने विज्ञान की जड़े हिला दी थी। अच्छे अच्छे नास्तिक न चाहते हुए भी स्वीकार करने को मजबूर थे… संत प्रह्लाद जानी – चुनरी वाली माताजी का गुजरात मे 26 मई को निधन हो गया। आप 90 साल के थे।
आपके बारे में कहा जाता था कि आपने पिछले 76 साल से अन्न जल ग्रहण नही किया है। आप सिर्फ श्वास के सहारे जीवित हैं। DRDO मतलब डिफेंस रिसर्च एन्ड डेवलोपमेन्ट ओर्गनाइजेशन की एक अनुषांगिक संस्था DIPAS यानि कि Defence Institute of Physiology and Allied Sciences ने दो बार संत प्रह्लाद जानी के इस दावे की जाँच की कि उन्होंने पिछले 76 साल से अन्न जल ग्रहण नही किया। उनके ऊपर बड़ी वृहद वैज्ञानिक रिसर्च हुई है। पहली बार 2003 मे और दोबारा 2010 में। 2010 में DIPAS , DRDO, AIIMS जैसे संस्थानों के डॉक्टर्स, वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं ने अहमदाबाद के स्टर्लिंग हॉस्पिटल के एक शीशे के चैंबरनुमा रूम में पूरे 15 दिन तक उनकी निगरानी की। कुल 40 डॉक्टर की टीम और 24 घंटे CC TV कैमरा की निगरानी में उन्हें देखते जांचते रहे। पल पल उनका तापक्रम, वीपी, हर्ट बीट, ब्लड शुगर , लिपिड प्रोफाइल, सीबीसी, किडनी एवं लिवर फंक्शन जैसे तमाम जांच होते रहे। इस बीच उनके शौचालय जाने, मल मूत्र विसर्जन की भी निगरानी और जांच हुए। वैज्ञानिकों ने पाया कि उन पंद्रह दिनों में संतजी ने एक बूंद भी जल या कोई अन्न नही लिया। 24 घंटे में औसतन 100 मिली लीटर पेशाब उनको होता था। मल त्याग नही किया, एक बार भी।
तमाम शोध के बाद वैज्ञानिकों ने यही निष्कर्ष निकाला कि संत जी एक अज्ञात रहस्यमयी प्राण शक्ति से ही ऊर्जा ग्रहण करते हैं। DIPAS और DRDO जैसी संस्थाएं सेना के लिए ऐसी शोध करती हैं जिनसे विकट परिस्थितियों में मरुस्थल या बर्फीली चोटियों पे सैनिक बिना कुछ खाये पिये भी न सिर्फ कर सकें बल्कि लड़ सकें। इसी क्रम में DRDO Energy Drinks , Energy foods, पे रिसर्च करती हैं जिससे जेब मे रखी एक चॉकलेट मात्र से हफ्ते भर की ऊर्जा मिल सके। तो DIPAS जैसी संस्था ने भी संत प्रह्लाद जानी के इस दावे को सत्य माना कि उन्होंने लंबे समय तक अन्न जल ग्रहण नही किया। ऐसे में हमारे ग्रंथों में समाधि की जिस अवस्था का ज़िक्र आता है जिसमे योगी सिर्फ योग प्राणायाम और प्राण वायु के सहारे ही वर्षों समाधि में बिता देते थे। वैसे ही योगी थे संत प्रह्लाद जानी ।
इस महान संत और अपने अद्भुत जीवटता से चर्चा में आये प्रह्लाद जानी 26 मई 2022 को हमारे बीच से चले गए, साथ ही छोड़ गए वह रहस्य जिस पर विज्ञान को शोध करने की जरूरत है।
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