

नयी दिल्ली : ऑपरेशन ब्लू स्टार वो घटना है जिसने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया। इस ऑपरेशन के जख्म सिर्फ पंजाब के ही हिस्से में नहीं आए। बल्कि इसकी टीस पूरे मुल्क ने महसूस की थी। ऑपरेशन ब्लू स्टार के आज 39 साल पूरे हो गए हैं। आपको इस ऑपरेशन की पूरी कहानी बताते हैं।
*जानिए, किन वजहों से हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार*

70 के दशक से अकाली दल पंजाब को स्वायत राज्य बनाने की मांग कर रहा था। 1973 में इसी को लेकर आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव में अकाली दल चाहता था कि केंद्र सरकार केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार को छोड़ कर अन्य सब विषयों पर पंजाब को उसके अधिकार दे दें। यह मांग इस कदर जोर पकड़ती गई कि पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगी। सितंबर 1981 में हिंद समाचार-पंजाब केसरी अखबार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हुई। पंजाब के कई जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं और कई लोगों की जान गई। अप्रैल 1983 में एक अभूतपूर्व घटना घटी। पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक एएस अटवाल की दिन दहाड़े स्वर्ण मंदिर परिसर में गोली मारकर तब हत्या कर दी गई, जब वे वहां माथा टेक कर बाहर निकल रहे थे

*सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन किया लागू*
मामले की जांच करते हुए पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल ने पाया कि उस समय घटनास्थल के आसपास लगभग सौ पुलिसकर्मी थे और उनमें से आधे हथियारों से लैस थे, लेकिन अटवाल का शव इस घटना के करीब दो घंटे बाद तक वहीं पड़ा रहा। पंजाब का माहौल बिगड़ता देखकर इंदिरा गांधी सरकार ने दरबारा सिंह की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
*भिंडरावाले कब हुआ ढेर, स्वर्ण मंदिर में क्यों घुसी सेना*
अलगाववादियों ने गोल्डन टेंपल में ली शरण. भिंडरावाले पर हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे। इसी कड़ी में 1984 में राज्य धीरे-धीरे अलगाववाद की चपेट में आ गया। धार्मिक गुरु जरनैल सिंह भिंडरावाले की अगुआई में अलगाववादियों ने गोल्डन टेंपल में शरण लेकर तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार को चुनौती दी। ऑपरेशन ब्लू स्टार से तीन महीने पहले हिंसक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 298 हो गई थी। केंद्र सरकार को गोल्डन टेंपल से अलगाववादियों को बाहर निकालने के लिए 1984 में 1 जून से 6 जून तक सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया।
अमृतपाल सिंह पर जत्थेदार का अल्टीमेटम, Operation Blue Star के वक्त अकाल तख्त का स्टैंड.
*बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों का इस्तेमाल*
इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों और बस सेवाओं पर रोक लग गई, फोन कनेक्शन काट दिए गए और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर कर दिया गया। तीन जून तक भारतीय सेना अमृतसर में प्रवेश करके स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर चुकी थी। 4 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी, लेकिन चरमपंथियों की ओर से इतना तीखा जवाब मिला। पांच जून को बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों का इस्तेमाल किया गया।
*इस ऑपरेशन में 83 सैनिक हुए शहीद.
इस दौरान भीषण खून-खराबा हुआ। अकाल तख्त पूरी तरह तबाह हो गया। स्वर्ण मंदिर पर गोलियां दागी गईं और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुस्तकालय बुरी तरह जल गया। भारत सरकार के श्वेतपत्र के अनुसार 83 सैनिक शहीद और 249 घायल हुए। इस ऑपरेशन 493 लोगों की भी मौत हुई। वहीं 86 लोग घायल हुए लेकिन इन सब आंकड़ों को लेकर अब तक विवाद चल रहा है।
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