
*आज ४ जुलाई को स्वामी विवेकानंद पुण्यतिथि है।*

आज के समय में तो दुनिया एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है। किसी कोने में एक घटना घटती है और चंद मिनट में देश और धरती की सीमाएं लांघते हुए पूरी दुनिया में फैल जाती है। इसका श्रेय टेक्नॉलजी को जाता है। आज कुछ भी अनोखा करके टेक्नॉलजी के बल पर दुनियाभर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है। लेकिन 18वीं शदी में ऐसा संभव तो छोड़िए कल्पनीय भी नहीं था। फिर भी अपनी बौद्धिकता और एक सिर्फ एक वाक्य के बल पर स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका, यूरोप सहित पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था।*

*’अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा’ यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था।*

*स्वामी विवेकानंद पांच बार काशी आए थे। उनको काशी में ही अपनी मृत्यु का आभास हो गया था। इसका जिक्र उन्होंने अपने पत्र में भी किया था।*
*उन्होंने 39 वर्ष पांच माह, 24 दिन की अल्प आयु में शरीर त्याग दिया था। वर्ष 1902 में जब वो बनारस आए तो बीमार थे। यहीं ठहरे व एक माह तक स्वास्थ्य लाभ किया। चार जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद महासमाधि में लीन हो गए।*
There is no ads to display, Please add some







Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com
