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रांची से आए एनडीआरएफ की टीम ने निकाला गोप में घुसे शव को

ByAdmin Office

Jul 29, 2023

 

अंकित केशरी (avn)

*25 फीट गहरे गोफ से निकल रही है जहरीली गैस, कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता*
झरिया : घनुडीह गांधी चबूतरा के समीप शुक्रवार 28 जुलाई को गोफ़ की दरार में गिर कर 40 वर्षीय परमेश्वर चौहान की मौत के बाद शव निकालने की मशक्कत शुरू हुई. परिजन, पुलिस व बीसीसीएल प्रबंधन के लोग घटनास्थल पर पहुंचे. परंतु गोफ से जहरीली गैस रिसाव के कारण बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम ने हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद शनिवार 29 जुलाई को लगभग 10 बजे सुबह रांची की एनडीआरएफ की 15 सदस्यीय टीम इंस्पेक्टर राहुल कुमार सिंह के नेतृत्व में पहुंची. झरिया अंचलाधिकारी प्रमेश कुशवाहा भी मौजूद थे. लगभग 11 बजे बस्ताकोला माइंस रेस्क्यू के सुपरिटेंडेंट प्रमोद रंजन मुखर्जी भी टीम के साथ पहुंचे व गोफ से निकल रही गैस व आसपास का टेम्प्रेचर नापा. 11 बजे शव निकलने का कार्य प्रारंभ हुआ और 12:30 बजे सफलता मिली.

गल चुका था शरीर का अधिकांश हिस्सा
गोफ से निकल रही गैस में मीथेन की मात्रा अधिक थी. एनडीआरएफ के जवानों ने रस्सी व लोहे की सरिया की मदद से दो घंटे की मशक्कत के बाद शव का कुछ हिस्सा गोफ से बाहर निकाला. इंस्पेक्टर राहुल कुमार सिंह ने बताया कि जहां पर बॉडी गिरी हुई थी, वह काफी हीट थी. वहां का टेम्प्रेचर 160 प्लस के आसपास मापा गया. जहां शव पड़ा था, वह बिल्कुल ट्रेन्चनुमा था और वहां से धुआं वगैरह आ रहा था. विजिबिलिटी भी काफी कम थी. बावजूद इम्प्रोवाइज तरीके से टीम ने लोहे के सरिया का एंगेल बनाकर रस्सी के सहारे फंसा कर शव निकाला. हालांकि शव का कुछ हिस्सा ही बच सका है. अधिकांश हिस्सा गल चुका था. झरिया अंचलाधिकारी ने एनडीआरएफ को बधाई दी. कहा कि एनडीआरएफ की टीम ने बहुत ही मेहनत और रिस्क ले कर शव को निकाला. पूरा इलाका अग्निप्रभावित व भू धंसान वाला क्षेत्र है. मृतक के परिवार को भी आवास आवंटित है और वे लोग दूसरी जगह पर रह रहे हैं. हालांकि सरकारी नियम के मुताबिक उसके परिजनों को मुआवजा मिलेगा. उन्होंने लोगों से अपनी जानमाल की सुरक्षा का ख्याल रखने की अपील की.

बीसीसीएल प्रबंधन के खिलाफ दिखा आक्रोश
एनडीआरएफ की टीम के घटनास्थल पर पहुंचने की जानकारी मिलते ही मृत युवक के पिता बेलगाड़िया निवासी रामू चौहान, भाई विजय चौहान, बहन सुनीता देवी, रेखा देवी, राधा देवी व भतीजा सुमित भी पहुंच गए. परिजनों को रोता बिलखते देख स्थानीय लोगों में बीसीसीएल के खिलाफ आक्रोश देखा गया. बता दें कि इसके पहले भी गांधी चबूतरा में 2002 में जमींदोज होने की बड़ी घटना घटी थी. उस समय कोहराम मच गया था. बीसीसीएल और जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश फूट पड़ा था.

2002 में भी हुआ था ऐसा हादसा, प्रबंधन बार बार दे रहा नोटिस
जिला प्रशासन ने वहां के लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाने की बात कही थी. परंतु बीसीसीएल प्रबंधन और वहां रहने वालों के बीच सहमति नहीं बन सकी. इस बीच भूमिगत आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. स्थिति यह है कि कुछ लोग यहां से पलायन कर गए, तो कुछ लोगों को जरेडा ने बेलगड़िया भेजा. जिन्हें बेलगड़िया शिफ्ट नहीं किया गया, वैसे लोग आज भी मजबूरी में वहीं रह रहे हैं. गांधी चबूतरा मल्लाहपट्टी आदि स्थान बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र में पड़ता है. प्रबंधन उस स्थान को खाली करने का नोटिस समय समय पर देता रहा है. रजिस्टर के अनुसार कम से कम 37 बार नोटिस दिया जा चुका है. 2010 के बाद नोटिस की संख्या में तेजी आ गई थी.


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