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फिल्म समीक्षा: *छोटे शहर से बड़े सपने को साकार करने में जुटे हैं हजारीबाग के गजानंद पाठक

ByAdmin Office

Feb 6, 2024

 

 

*स्वामी विवेकानंद के प्रेरक जीवनी पर आधारित फिल्म “पुनर्जागरण” की अपार सफ़लता के बाद उनके गुरु “जगतगुरु श्री रामकृष्ण” की जीवनी पर आधारित फिल्म का जल्द देंगे सौगात*

 

*झारखंड के हजारीबाग से बनी यह फिल्म 16 फ़रवरी को सिनेमाघरों में होगी रिलीज़, हजारीबाग के कलाकारों का दिखेगा जलवा*

 

वर्तमान दौर में जहां ग्लैमर और पाश्चात्य संस्कृति समाज में हावी है। ऐसे समय में अधिकतर लोग छोटे शहरों से निकलकर अपने सपने पूरे करने के लिए महानगरों की चकाचौंध में जद्दोजहद करते दिखते हैं ऐसे समय में भी कुछ लोग ऐसे भी जो अपनी सोच को सार्थक बनाने के लिए छोटे शहरों से भी न सिर्फ बड़े सपने देखते हैं बल्कि उन्हें सरकार करके अन्य छोटे शहरों से भी संभावनाओं की तलाश के साथ सपने पूरे करके कामयाब करियर की राह अपना रहें लोगों के लिए सकारात्मक ऊर्जा भरने का सफल प्रयास करते हैं और उनके लिए प्रेरक बनकर उभरते हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हजारीबाग के एक ऐसे ही शख्स हैं गजानंद पाठक जिन्होंने कोरोना ग्रसित होने के बाद समाज और राष्ट्र के लिए कुछ बेहतर करने की ठानी। उनकी जिद्द और जुनून ने हजारीबाग जैसे छोटे शहर से उनकी फिल्म निर्माण के सपने को साकार किया। गजानंद पाठक ने समाज के युवा पीढ़ी में धर्म और आध्यात्मिक के साथ इंसानियत और राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करने को लेकर पहले विश्व स्तर पर हिंदू धर्म को श्रद्धेय धर्म के रूप में स्थापित करने वाले, समूचे भारत में धर्म और आध्यात्मिक की जागृति और स्वाभिमान की एक नई लहर पैदा करने वाले महामानव स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरित और उनके संदेशों से ओत-प्रोत हिंदी फिल्म “पुनर्जागरण” का निर्माण किया। जो ओटीटी प्लेटफॉर्म हंगामा पर रिलीज़ हुआ और दर्शकों ने इसे खूब प्यार दिया। इस फिल्म में शत प्रतिशत कलाकार हजारीबाग से थे। जिन्होंने पूरी कौशल क्षमता को झोंक दिया और इस फ़िल्म को जीवंत करने का सकारात्मक कार्य किया। इस फिल्म में धर्म और अध्यात्म जीवन को बड़े ही सरल तरीके से दर्शाते हुए दिखाया गया कि स्वामी विवेकानंद ने किस प्रकार निष्क्रिय साधना की अंतःगुहाओं से निकलकर धर्म और अध्यात्म को मानवसेवा के आदर्श में बदला और देखते ही देखते जातीय पुनर्जागरण के वे कैसे अग्रदूत बन गए। इस फिल्म ने युवाओं में एक नई ऊर्जा का प्रवाह भी किया। इस फिल्म के निर्माता एवं कॉन्सेप्ट गजानंद पाठक हैं जबकि फिल्म के लेखक एवं निर्देशक अनिरुद्ध उपाध्याय हैं।

 

फिल्म “पुनर्जागरण” के अपार सफ़लता के बाद महा मानव स्वामी विवेकानंद के गुरु भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक सह मां काली के अनन्य भक्त जगतगुरु रामकृष्ण परमहंस के जीवनी पर आधारित फिल्म “जगतगुरू श्री रामकृष्ण” का निर्माण वीईसी फिल्म के बैनर तले करने का साहस किया। इस फिल्म के निर्माता गजानंद पाठक है और निर्देशक डॉ बिमल कुमार मिश्रा हैं। इस फिल्म में गजानंद पाठक ने जगतगुरु रामकृष्ण परमहंस की भूमिका निभाते हुए अपने आत्मीय कलाकारी को बखूबी प्रदर्शित किया है। हजारीबाग के उभरते हुए युवा कलाकार अमरकांत ने युवा रामकृष्ण साधक की भूमिका में फिल्म में अपनी अभिनय क्षमता का बेहतर प्रदर्शन किया है। महिला कलाकार श्रेष्ठा भट्टाचार्य ने गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी और

रामकृष्ण संघ की ‘श्रीमाँ’ की भूमिका को जीवंत किया है। हजारीबाग के प्रसिद्ध कलाकार मुकेश राम प्रजापति ने स्वामी विवेकानंद की भूमिका को अपनी विलक्षण प्रतिभा के बदौलत जीवंत करने का सार्थक प्रयास किया है। इसके अलावे हजारीबाग के लोकप्रिय कलाकारों में से चांदनी झा, मनोज पांडेय, दीपक घोष, संजय तिवारी, प्रसन्न मिश्रा, प्रशांत कुमार पांडेय सहित अन्य ने भी अपनी प्रतिभा का शानदार जलवा बिखेरा है। धर्म, अध्यात्म, योग और ध्यान पर आधारित फिल्म “जगतगुरु श्री रामकृष्ण” श्री रामकृष्ण परमहंस के दिव्य व्यक्तित्व से तो परिचय कराती ही है उनके जीवन के कई रहस्यमयी पहलुओं के रोमांच से भी पर्दा उठाती है। यह फिल्म पूर्ण रूप से मनोरंजक, पारिवारिक और संदेशात्मक है। यह फिल्म युवाओं में शक्ति, भक्ति, आत्मश्रद्धा, आत्मविश्वास के साथ आत्म- साक्षात्कार की ओर बढ़ाने की प्रेरणा और उत्साहवर्धन करती है तो धर्म- जाती के बंधन से ऊपर उठकर इंसानियत और राष्ट्र प्रेम का दुनिया को राह भी दिखाती है। इस फिल्म में प्रसिद्ध भजन सम्राट अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर एवं महालक्ष्मी अय्यर ने अपनी गायिकी का परिचय देते हुए रामकृष्ण परमहंस के जीवन की घटनाओं को जीवंतता प्रदान किया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक आध्यात्मिक दुनिया का अलौकिक सुकून प्रदान करती है। संगीतकार अजय मिश्रा ने इस फिल्म में संगीत दिया है जिन्होंने देवों के देव महादेव टीवी सीरियल में संगीत दिया था। इस फिल्म के गीतकार डा हरे राम पांडेय जी हैं और इस फिल्म का छायांकन किया है राहुल पाठक ने। फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन का पूरा काम मुम्बई में कराया गया है जहां पर अत्याधुनिक वी एफ एक्स तकनीक एवं डी आई का प्रयोग किया गया है और त्रुटियों की संभावना को कम से कम करके उच्च गुणवत्ता प्रदान की गई है। इस फिल्म को केंद्रीय फिल्म परमानंद बोर्ड के द्वारा यू सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया है। झारखंड के हजारीबाग के कलाकारों के समूहों द्वारा अभिनीत और हजारीबाग की नयनाभिराम झील, सुकूनदेय जलाशय छड़वा डैम, नैसर्गिक कनहरी हिल जैसे मनोहारी खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों और विवेकानंद आईटीआई में बनाए गए ग्रीन स्टूडियो में फिल्माया गया है। आगामी 16 फरवरी को यह फिल्म रिलीज़ होगी। फिल्म के निर्माता गजानंद पाठक ने बताया कि झारखंड के हजारीबाग, रामगढ़ एवं गिरिडीह जिले के सिनेमाघरों में इस फिल्म को रिलीज किया जाएगा इसके बाद इसे अन्य राज्यों के साथ भारत के अन्य हिस्सों में पहुंचाया जाएगा ।

 

हजारीबाग के इस फिल्म के संपूर्ण निर्माता टीम और कलाकारों के समूह होने सामूहिक रूप से समाज के लिए एक बेहतरीन प्रयास किया है। जिसे दर्शकों के असीम प्रेम, स्नेह और आशिर्वाद की जरूरत है। जागरूक भारतीय नागरिक होने के नाते हम सभी को ऐसे प्रेरक लोगों के नेक और सार्थक सोच को इस फिल्म को देखकर और फिल्म के संदेश को प्रसारित करके इनके जज्बे को सलाम करने की सख्त जरूरत है ।

 

 

 


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