

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि पुरानी शिक्षा नीति अंग्रेजों की दी हुई है, गुलामी नीति से बंधी हुई थी। हम सिर्फ बच्चों को नौकरी करना हीं सिखाते थे और इसे ही उनका अंतिम लक्ष्य मानते थे। मतलब साफ है कि हम उन्हें गुलामी कीसंस्कृति ही पीढ़ी दर पीढ़ी दे रहे थे। पहली बार 2020 में एक ऐसी शिक्षा नीति बनी जिससे व्यापक आयाम खुलकर सामने आए। वे शुक्रवार को भिलाईपहाड़ी स्थित आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में शुक्रवार को नई शिक्षा नीति पर आयोजित कांक्लेव को संबोधित कर रहे थे।
बैस ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार ने शिक्षा नीति बनाने के बाद इसे हम पर थोपा नहीं बल्कि इसे पब्लिक डोमेन में रखा। आज हर माता-पिता केजी क्लास में अपने बच्चों के दाखिले के लिए कतार में खड़ा मिलता है। आज भी हम सरकारी शिक्षा को क्यों स्तरीय नहीं बना पाए हैं। क्यों कोई भी बड़े घर का आदमी सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भर्ती नहीं कराना चाहता है। अब समय आ गया है कि शिक्षा में हम समानता की भावना लाएं। नई शिक्षा नीति में इसके पूरे अवसर दिए गए हैं।
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