सरायकेला, झारखंड: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर, सरायकेला में समाजसेवी बाबू राम सोरेन के नेतृत्व में एक जनजागरण यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों को उनके मूल अधिकारों और विभिन्न कानूनों के बारे में जागरूक करना था।
यह जनजागरण यात्रा गुरु गंके पंडित रघुनाथ मुर्मू चौक, कांदरबेड़ा से शुरू हुई। यात्रा के दौरान, विभिन्न स्थानों पर वीर महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया और लोगों को उनके अधिकारों के प्रति शिक्षित किया गया।
यात्रा के दौरान उठाई गई मुख्य मांगें
जनजागरण यात्रा के माध्यम से आदिवासी समुदाय ने सरकार से कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें शामिल हैं:
- पेसा कानून की नियमावली: झारखंड सरकार से मांग की गई है कि पेसा कानून की नियमावली जल्द से जल्द बनाकर सितंबर तक इसे लागू किया जाए।
- Land Acquisition Act 2013: इस कानून को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है।
- Land Bank अधिनियम: सरकार से इस अधिनियम को तुरंत रद्द करने की मांग की गई है।
- CNT, SPT और Wilkinson Rules: इन महत्वपूर्ण कानूनों का पालन सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
- सरना धर्म कोड: आगामी जनगणना में सरना धर्म को एक अलग कोड के रूप में शामिल करने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई।
आंदोलन की रणनीति और समुदाय की मांगें
समाजसेवी बाबू राम सोरेन ने लोगों से एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अपने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करना होगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखकर नीतियां और कानून बनाए जाएं और उनका ईमानदारी से पालन किया जाए।
इस जनजागरण यात्रा में बबलू सोरेन, रवींद्र नाथ सिंह, बनमाली हांसदा, विजय मुर्मू, चंद्र भूषण सिंह, सुनील मारडी, सुकलाल टुडू, मिथुन सोरेन समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे।