

सरायकेला-खरसावां: चांडिल वन विभाग सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह थाना अंतर्गत अंडा गांव में जंगली हाथियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। चांडिल वन क्षेत्र पदाधिकारी के निर्देश पर फॉरेस्टर राणा महतो और वशिष्ठ महतो के नेतृत्व में पूरी टीम गांव-गांव जाकर माइक के माध्यम से ग्रामीणों को सतर्क कर रही है। ग्रामीणों को विशेष रूप से घरों से अनावश्यक बाहर न निकलने और हाथियों का झुंड दिखने पर तुरंत वन विभाग को सूचित करने की सलाह दी जा रही है।
बिजली के नंगे तारों पर सख्त चेतावनी

अभियान के दौरान वन विभाग ने ग्रामीणों को घरों के बाहर बिजली के नंगे तार न लगाने की कड़ी चेतावनी दी है। विभाग का कहना है कि ऐसा करने पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसी प्रकार, खेती में फसलों की सुरक्षा के लिए बिजली के तार का उपयोग करने और सब्जियों पर विषैले पदार्थ का छिड़काव करने से भी मना किया गया है, क्योंकि इससे बेजुबान जानवरों की जान को खतरा होता है।

जान-माल का नुकसान और मुआवजा मिलने में देरी से ग्रामीण आक्रोशित
ग्रामीणों ने वन विभाग को बताया कि हाथियों का झुंड प्रतिदिन अंडा गांव में घुसकर गरीब किसानों के घरों को निशाना बना रहा है, अनाज खा रहा है और घरों को नुकसान पहुंचा रहा है। बरसात के मौसम में मिट्टी के घरों को अधिक क्षति हो रही है। ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी आक्रोश है कि विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति का मुआवजा समय पर नहीं मिल रहा है।
हाथियों के आतंक के चलते शाम ढलते ही ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा बांटे गए पटाखे और लाइट कितने समय तक सुरक्षा प्रदान करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
क्षेत्र में हाथियों की मौत और रेड जोन घोषित न करने पर सवाल
एक महीने के भीतर दो हाथियों की मौत हो चुकी है, जिसकी कमी वन विभाग भुगत रहा है। विगत दो माह में अंडा गांव में तीन लोगों की मौत हाथियों के हमले से हुई है। पांच जून से 25 जून तक तिल्ला और हेवेन पंचायत में भी दो हाथियों की मौत हुई है, और दो माह पूर्व अंडा गांव में कुएं में गिरने से एक हाथी की मौत हुई थी।
यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है, क्योंकि यहां साल भर हाथियों का झुंड देखा जाता है। चांडिल डैम जलाशय के आसपास पानी और पर्याप्त भोजन मिलने के कारण दलमा गज परियोजना से हाथियों का दल चांडिल में डेरा डाले हुए है। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के अयोध्या पहाड़ और धनुडीह से भी हाथियों का आवागमन होता है।
इस क्षेत्र के ग्रामीण कृषि पर निर्भर हैं और कुछ लोग जमशेदपुर आदि जगहों पर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, जिन्हें लौटते समय हाथियों के झुंड का सामना करना पड़ता है, जिससे जान-माल का खतरा बना रहता है। चांडिल वन क्षेत्र पदाधिकारी द्वारा कई हाथी बहुल क्षेत्रों में बोर्ड लगाए गए हैं, लेकिन अब तक इस क्षेत्र को रेड जोन क्यों घोषित नहीं किया गया, यह एक चिंता का विषय है। ग्रामीणों का मानना है कि वन एवं पर्यावरण विभाग की अनदेखी के कारण हाथी भटक रहे हैं और राज्य में हाथियों की समस्या बड़ी चुनौती बन गई है।
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