

जमशेदपुर। ह्यूम पाइप गुरूद्वारा में सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी का 459 वाँ प्रकाश पर्व बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया गया।शनिवार की सुबह अखंड पाठ का भोग डालने के बाद कीर्तन दरबार सजा वही शाम में भी रहिरास जी के पाठ के उपरांत कीर्तन दरबार सजाया गया ।जुगसलाई वाले गुरदीप सिंह एवं हजूरी रागी बीबी जसवीर कौर के जत्थे ने कीर्तन गायन किया ।”जपयो जिन अर्जुन देव गुरूफिर संकट जोनि गरभ न आयो”, शबद समवेत स्वर में ने रसना पवित्र की।
प्रधान दलबीर सिंह के अनुसार चौथे गुरु श्री रामदास जी एवं माता भानी जी के घर 15 अप्रैल 1563 को प्रकाश हुआ।
इन्होंने सिख गुरुओं की वाणी के साथ ही हिंदू भक्तों और मुसलमान फकीरों की वाणी को संकलित कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की रचना की। इन्होंने दुनिया को सत्य शांति और चिंतन का संदेश दिया। इन्होंने दरबार साहिब श्री स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हजरत साईं मियां मीर से रखवाया।उस समय के कर्मकांडी कुछ पंडितों एवं मौलवियों ने साजिश की और अमीर खुसरो की बगावत का इन्हें आरोपी बनाया गया। मुगल बादशाह जहांगीर के आदेश पर इन्हें “यशा” कानून के तहत गर्म तवा में बैठाकर तथा तपती रेट डालकर शहीद कर दिया गया.
शाम को सजे दीवान में झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह, झारखंड सिख विकास मंच के अध्यक्ष गुरदीप सिंह पप्पू, सीजीपीसी के सुखविंदर सिंह, भाजपा नेता सतबीर सिंह सोमू, इंदर सिंह इंदर, सीजीपीसी संचालन समिति के सतेंद्र सिंह रोमी, प्रधान कुलविंदर सिंह सहित संगत ने बड़े ही श्रद्धा के साथ हाजिरी भरी और लंगर ग्रहण किया। इसे सफल बनाने में सरदार महेंद्र सिंह रेखराज परिवार, प्रधान दलबीर सिंह, मनजीत सिंह बलविंदर सिंह सतनाम सिंह सत्ते, सरबजीत सिंह, कुलविंदर सिंह, जसवीर कौर आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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