

जमशेदपुर : यंग उड़ान सोशल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा अयोजित दलमा वन्य जीव अभ्यारण्य ट्रैकिंग एवं सफाई अभियान 24 दिसंबर, 2023 को प्रारंभ होगी. जिसका पंजीकरण शुरू हो चुका है. पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 दिसंबर 2023 तक हैं. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बॉडी फिटनेस और युवाओं को प्रकृति से जोड़ना, साथ ही युवाओं को एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना जिससे की वो प्रकृति के प्रति जागरूक हो सकें. पिछले 5 वर्ष से यंग उड़ान संस्था कार्यक्रम को आयोजित करते आ रही है. इस कार्यक्रम में युवाओं के साथ बुजुर्ग भी भाग लेते हैं. जिसमें ज्यादा संख्या में लड़कियों बढ़ चढ़कर के हिस्सा लेती है.
इस कार्यक्रम में संस्था द्वारा तीन अनुभवी पर्वतरोही उपस्थित होंगे. जो कि अपने अनुभव से दूसरों का मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करेंगे.
*जानिए तीनों पर्वतरोही के नाम एवं उनके द्वारा किए गए कार्य*
प्रथम नाम रणवीर कुमार जो कि युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय द्वारा चयनित होकर हिमालय इंस्टिट्यूट ऑफ़ दार्जिलिंग के द्वारा बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स कर चुके हैं.
द्वितीय नाम राजीव रंजन जो कि राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा चयनित होकर धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में जाकर ट्रेनिंग का अनुभव ले चुके हैं.
तृतीय नाम विवेक कुमार जो कि राष्ट्रीय सेवा योजना चयनित होकर गोहाटी में प्रशिक्षण का अनुभव लिया हैं, और साथ ही खेल के छेत्र में ये सभी अत्यधिक रुचि रखते हैं.
इन तीन के अलावा और भी अनुभव भी व्यक्ति हैं जो की अलग-अलग खेलों में रुचि रखते हैं. शुभम कुमार जो क्रिकेट का खेल में राज्य स्तरीय खिलाड़ी हैं, विकास कुमार पांडे और मानस पॉल जो कि राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत कई राष्ट्रीय शिविर में भाग लेने का अनुभव रखते हैं. युवाओं में जागरूकता सह समाज कल्याण के लिए बढ़ चढ़कर युवा इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं, हर साल इस कार्यक्रम में 100 की संख्या होती है इस बार की संस्था का लक्ष्य 200 तक रखी गयी है. उन सभी 200 लोगों को ट्रैकिंग सही तरीका से करवाना एवं सुरक्षित रूप से प्रक्रिया पूर्ण करवाना संस्था की जिम्मेदारी बनी रहती है. जिसके लिए टीम लीडर की तैनाती अधिक की गई है. जो कि हर बिंदुओं पर नजर रखेगी. बता दे कि वैसे भी टीम लीडर हैं जो यंग उड़ान सोशल वेलफेयर फाउंडेशन से ट्रेनिंग लेकर आज उसकी टीम में टीम लीडर का रोल निभा रहें है .अनिशा कुमारी, संगीता मोहंती, रागनी दास, आकाश पासवान,काजल, खुशी, अनीता इत्यादि ये सभी इस कार्यक्रम में टीम लीडर का रोल निभा रहें हैं है.
आइये जानते हैं एडवेंचर की कुछ खास बातें *एडवेंचर ट्रैकिंग एडवेंचर ट्रैकिंग क्या है*
एडवेंचर ट्रेक को आमतौर पर प्रकृति के जंगल वाले हिस्से में कई दिनों तक चलने वाली पैदल यात्रा के रूप में माना जाता है. यह ग्रामीण और बीहड़ इलाके में कैंप लगाकर किया जाता है. यह एक बाहरी गतिविधि है जहां परिवहन के साधन पहुंचने योग्य कुछ नहीं होता है. जिसमें ट्रेकर्स को अपनी यात्रा पैदल ही करनी पड़ती हैं.
क्या ट्रेकिंग कठिन होती हैं?
ट्रैकिंग करने के लिए कम से कम कुछ यात्रा-पूर्व प्रशिक्षण या अच्छे बुनियादी स्तर की फिटनेस होनी चाहिए. ट्रैकिंग एक कठिन कार्य है. जिसमें बड़े ट्रेक का टोल पसीने से चुकाया जाता है दुखती पिंडलियाँ और दुखते क्वाड्स सम्मान के प्रतीक हैं, जबकि छाले और पैर के नाखून गर्व के निशान.
आयु सीमा: भारत में ट्रैकिंग के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है. लेकिन बच्चों के लिए यह सलाह दी जाती है कि वे कम से कम बड़े हों, 10 वर्ष से अधिक ट्रेकिंग चलना है.
ट्रेक: एक ट्रेक का उपयोग पैदल यात्रा या पदयात्रा को परिभाषित करने के लिए किया जाता है जो कई दिनों तक चलने वाली, सुदूर, आवास के रूप में कम (आम तौर पर शिविर-आधारित) होती है जिसमें रास्ते या तो आंशिक रूप से दिखाई देते हैं या बिल्कुल भी दिखाई नहीं देते हैं और जहां ऊंचाई या अन्य ऊबड़-खाबड़ इलाकों और क्रॉसिंग का सामना करना पड़ सकता है.
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