
नई दिल्ली: देश की सत्ता संभालते ही “सबका साथ, सबका विकास” नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे इसे सुशासन का मंत्र बनाया, इस पर हाल ही में सामने आए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और गेट्स फाउंडेशन के अध्ययन ने भी मुहर लगा दी है।विरोधी दलों द्वारा शासित राज्यों में बड़ी परियोजनाओं के लटकने-फंसने और राजनीतिक दबाव में नौकरशाही के असहयोग की अवधारणा को निर्मूल करते हुए पीएम मोदी ने डिजिटल-आनलाइन मॉनिटरिंग प्लेटफार्म- प्रोएक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति) के माध्यम से संघवाद का नया मॉडल प्रस्तुत किया है।
अध्ययन में कई राज्यों की प्रमुख परियोजनाओं के इसके माध्यम से पूरे होने को केस स्टडी के रूप में उल्लेखित करते हुए कहा है कि भारत की बुनियादी ढांचा क्रांति को विशेष रूप से उल्लेखनीय बनाने वाली बात यह है कि इसने पारंपरिक राजनीतिक विभाजनों को दूर कर लिया है।

*रिपोर्ट में कही गई ये बात*

‘फ्रॉम ग्रिडलॉक टू ग्रोथ’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की संघीय व्यवस्था में राज्य अक्सर प्रतिस्पर्धी प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण वाले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा शासित होते हैं। इन मतभेदों के कारण अक्सर प्रमुख विकास परियोजनाएं बाधित होती हैं। इशारा किया है कि राजनीतिक दबाव या प्रतिबद्धता के चलते कई बार अधिकारी भी ऐसी परियोजनाओं के प्रति सुस्त रवैया अपनाते हैं, जिसके कारण परियोजनाओं के पूरा होने में बेवजह विलंब होता है। कई बार मंत्रालयों और विभागों का भी आपसी समन्वय ठीक न होने से काम में बाधा आती है।
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2015 में शुरू किए गए निगरानी प्लेटफार्म ‘प्रगति’ ने ‘टीम इंडिया’ की अवधारणा को मूर्त रूप दिया है। राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर विभिन्न राज्यों का शासन मंत्र राष्ट्रीय विकास के लिए एक एकजुट दृष्टिकोण के साथ दिखा। प्रगति के माध्यम से जिलों में तैनात कलेक्टरों से लेकर मुख्य सचिवों तक को एक साथ लाया गया। उनके साथ संवाद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं चुनिंदा परियोजनाओं की समीक्षा की।
*प्रगति ने दिखाया नया रास्ता*
प्रगति के माध्यम से नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा ने केंद्र-राज्य की बातचीत को सकारात्मक दिशा में मोड़ा। विकास के लिए एक ऐसा तटस्थ मंच तैयार हुआ, जहां राजनीतिक मतभेद विकास लक्ष्यों से पीछे रह गए। परियोजनाओं में आड़े आ रहे अंतर-राज्य और केंद्र-राज्य मुद्दों का तेजी से समाधान संभव हो सका।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएम मोदी का यह प्रयास विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में विशेष रूप से मूल्यवान साबित हुआ है। इसे कई अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है। उदाहरण के लिए, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा है कि प्रगति का हस्तक्षेप राज्य के अधिकारियों को उत्तरी करनपुरा थर्मल पावर प्लांट के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने में मददगार रहा। प्रगति के कारण सरकारी भूमि के लिए पट्टा समझौतों में तेजी आई और विभिन्न विभागों के साथ तेजी से समाधान हुआ। कर्नाटक की पूर्व मुख्य सचिव वंदिता शर्मा का कहना था कि राज्य के विकास में प्रगति गेम-चेंजर साबित हुआ।
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