
औरंगाबाद से अविनाश कुमार की रिपोर्ट
औरंगाबाद: बुधवार को जिला विधिज्ञान संघ और जजेज कॉलोनी में एक ऐतिहासिक अवसर आया। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति पवन कुमार भीमप्पा बजंथरी ने वर्चुअल माध्यम से नवनिर्मित 5G-10 क्वार्टर भवन का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा अधिकार-आर्गेनाइज़र, राजकुमार वन ने की, जबकि मंच संचालन DLAA सचिव न्यायमत्ता तान्या पटेल ने संभाला।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें प्रमुख उपस्थित लोगों में परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अरुण कुमार, जिला जज प्रथम विश्व विभूति गुप्ता, जिला विधिज्ञ संघ अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय, महासचिव जगनरायण सिंह और अधिवक्ता संघ अध्यक्ष संजय कुमार सिंह शामिल थे। वर्चुअल मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य न्यायमूर्ति पवन कुमार भीमप्पा बजंथरी, न्यायमूर्ति सुधीर सिंह, न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद तथा निरीक्षी जज न्यायमूर्ति हरीश कुमार मौजूद थे, जिन्होंने फीता काटकर भवनों का उद्घाटन किया और औरंगाबाद न्याय परिवार को बधाई दी।

मुख्य न्यायमूर्ति बजंथरी ने अपने संबोधन की शुरुआत “औरंगाबादवासियों को प्रणाम” से की, जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। उन्होंने पूर्व निरीक्षी जज न्यायमूर्ति राजीव राय और वर्तमान निरीक्षी जज न्यायमूर्ति हरीश कुमार के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह औरंगाबाद न्यायिक परिवार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। न्यायमूर्ति सुधीर सिंह ने कहा कि यह अवसर बार और बेंच दोनों के लिए एक अमूल्य उपहार है, जो उनके संबंधों को और मजबूत करेगा। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि यह कार्य निरीक्षी जज हरीश कुमार और प्रधान जिला जज राजकुमार वन के समर्पण का परिणाम है। निरीक्षी जज हरीश कुमार ने अधिवक्ताओं की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि लॉयर्स हॉल अधिवक्ताओं के कार्य में नई दक्षता लाएगा।
प्रधान जिला जज राजकुमार वन ने कहा कि बार और बेंच दोनों इस पल के लंबे समय से प्रतीक्षारत थे और आज यह सपना साकार हुआ है; यह क्षण औरंगाबाद न्यायपालिका के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अरुण कुमार ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जिला अधिकारी श्रीकांत शास्त्री, पुलिस अधिकारी अम्बरीश राहुल और बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता तथा प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद थे।
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