

नई दिल्ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके इस समय भारत के दौरे पर हैं। आज नई दिल्ली में उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान संयुक्त बयान में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आज भारत को आश्वासन दिया कि वो अपनी जमीन का किसी भी तरह से हानिकारक इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं करने देंगे।
श्रीलंका के राष्ट्रपति के इस वादे से दोनों देशों के बीच रिश्तों में और मजबूती होने के आसार हैं। श्रीलंका ने कोलंबो के रुख को दोहराया, जिससे नई दिल्ली को दिया गया उसका वादा आधिकारिक हो गया।

दरअसल, नई दिल्ली को कोलंबो का यह आश्वासन ऐसे समय में आया है जब चीन अपने ‘मिशन हिंद महासागर’ को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है। इस मिशन को लेकर माना जाता है कि चीन का लक्ष्य भारत है।

हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन का कब्जा
जानकारी दें कि चीन ने कोलंबो द्वारा चीनी कर्ज का भुगतान करने में विफल रहने के बाद श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है। वहीं, चीन अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाजों को डॉक कर रहा है। ये भी जानना चाहिए कि पिछले दो सालों में बीजिंग में कई खास मौकों पर अपने 25,000 टन के उपग्रह और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा में तैनात किया है। चूंकि ये बंदरगाह भारत की सीमा से नजदीक है और देश के हितों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
भारत ने जताई थी चिंता
साल 2022 में भारत ने श्रीलंका के सामने अपनी चिंता व्यक्त की थी। इस दौरान श्रीलंका ने चीन से अपने शुरुआती आगमन को रोकने के लिए कहा था और इस प्रकार की किसी भी गतिविधि से दूर रहने की बात कही थी। हालांकि, बाद में चीनी जहाज को पुनःपूर्ति के लिए डॉक करने की अनुमति दे दी। सबसे हैरान करने वाली बात है कि चीनी निगरानी और जासूसी जहाज नियमित रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं और हंबनटोटा में डॉक कर रहे हैं।
भारत को श्रीलंका ने दिया आश्वासन
आज नई दिल्ली में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत के साथ जो समझौता किया वह सुनिश्चित करता है कि श्रीलंका अपनी भूमि का इस्तेमाल ऐसा नहीं होने देगा जिससे भारत को किसी प्रकार की कोई हानि पहुंचे। इसके अलावा उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीलंका द्वारा किसी भी ऐसे ऑपरेशन को अंजाम नहीं दिया जाएगा, जिसका गलत या प्रतिकूल असर भारत पर पड़ता हो।
पीएम मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति के बीच बातचीत
उल्लेखनीय है कि सोमवार को पीएम मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने एक व्यापक वार्ता की। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। दोनों देशों के नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी गहरी सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों, भौगोलिक निकटता और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है।
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