
आज दिनांक 21 अक्टूबर 2025 को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल के प्रशिक्षण संस्थान में एक गंभीर एवं गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर महानिरीक्षक श्री धीरेन्द्र कुटे, भा.पु.से., प्रशिक्षण केंद्र एवं विद्यालय तथा सहायक प्रशिक्षण केंद्र ने शहीद स्मारक पर देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की एवं उनके नामों का वाचन किया।

इसके उपरांत, शहीदों के सम्मान में एक विशेष परेड दस्ते द्वारा सलामी दी गई तथा सभी उपस्थित अधिकारीगण, जवानों एवं स्टाफ सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीदों के प्रति श्रद्धा एवं कृतज्ञता व्यक्त की।

राष्ट्र इस वर्ष 66वां पुलिस स्मृति दिवस मना रहा है। यह दिवस प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को उन वीर पुलिसकर्मियों की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया।
21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में सीमा की सुरक्षा में तैनात सी.आर.पी.एफ. के बहादुर जवान भारत-चीन सीमा पर गश्त कर रहे थे, तभी चीनी सेना ने घात लगाकर उन पर हमला किया। इस संघर्ष में 10 वीर जवानों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
वर्ष 2024-25 में सीमा सुरक्षा बल के कुल 23 कार्मिक शहीद हुए। 01 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 की अवधि में पुलिस एवं केन्द्रीय सशस्त्र बलों के अनेक कर्मियों ने राष्ट्र की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी इस शहादत को नमन करने, कृतज्ञता प्रकट करने तथा उनके अमर योगदान को याद करने हेतु पुलिस स्मृति दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस को पुलिस शहीदी दिवस अथवा पुलिस परेड दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
अपने संवेदी संबोधन में महानिरीक्षक महोदय ने कहा कि पुलिस स्मृति दिवस हमें उन अमर जवानों की याद दिलाता है जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि इन वीरों का बलिदान हमें राष्ट्र की सेवा के लिए और अधिक समर्पण, निष्ठा एवं साहस के साथ कार्य करने की प्रेरणा देता है।
महानिरीक्षक महोदय ने देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता की रक्षा में सीमा सुरक्षा बल तथा समस्त पुलिस बलों के जवानों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए कहा कि “शहीदों की कुर्बानी हमारे लिए प्रेरणास्रोत है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। सीमा सुरक्षा बल का प्रत्येक कार्मिक राष्ट्र की सुरक्षा को अपना परम कर्तव्य मानता है और उसकी रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से कभी पीछे नहीं हटता।
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