

अंतर्कथा संवाददाता केरेडारी बालमुकुंद दास
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना 50वां जन्मदिन मनाया, लेकिन यह अवसर उनके लिए उत्सव का नहीं, बल्कि गहरे भावनात्मक क्षणों का रहा। महज छह दिन पहले, 4 अगस्त को उनके पिता, झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया था। इस कारण मुख्यमंत्री ने जन्मदिन पर कोई औपचारिक कार्यक्रम या उत्सव आयोजित नहीं किया। इस समय उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) में शोक और श्राद्ध कर्म जारी है।

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए पिता को याद किया। उन्होंने लिखा—

“आज बाबा बहुत याद आ रहे हैं। मुझे जीवन देने वाले मेरे जीवनदाता, मेरी जड़ों से जुड़े वह महान व्यक्ति अब मेरे साथ नहीं हैं। जिनकी मजबूत उंगलियों ने बचपन में मेरे कदमों को थामा, जिन्होंने संघर्ष और जनसेवा के रास्ते पर चलना सिखाया, वे आज सशरीर हमारे बीच नहीं हैं।”
उन्होंने आगे लिखा—
“जब भी राह में अंधेरा हुआ, बाबा दीपक बनकर मेरा मार्ग रोशन करते रहे। उन्होंने सिखाया कि नेतृत्व का अर्थ शासन नहीं, बल्कि सेवा है। उनकी बातें, संघर्ष और जनहित के प्रति अडिग संकल्प, मुझे हर निर्णय में प्रेरित करते रहेंगे।”
हेमंत सोरेन ने कहा कि उनके पिता अब प्रकृति में विलीन हो चुके हैं—”वे सूरज की हर किरण में, पेड़ों की हर छांव में, बहती हवा, नदियों की धार और लोकगीतों में हमेशा जीवित रहेंगे।”
पोस्ट के अंत में मुख्यमंत्री ने गर्व से लिखा—
“मुझे मान है कि मैं वीर योद्धा दिशोम गुरुजी का अंश हूं। वीर दिशोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें। जय झारखंड!”
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का झारखंड की राजनीति और समाज में योगदान अविस्मरणीय है। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है, जबकि मुख्यमंत्री के 50वें जन्मदिन पर यह भावनात्मक स्मरण, पिता-पुत्र के गहरे रिश्ते और झारखंडी अस्मिता के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया।
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