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सरायकेला खरसावां जिले में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया दो समूह में होने से छोटे-छोटे कारोबारी में नाराजगी, सिंगल- सिंगल बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया करवाने की उठी मांग, क्या पूंजीपतियों को मिलेगा फायदा? जानिए पूरा मामला

BySubhasish Kumar

Sep 3, 2025

सरायकेला खरसावां जिले में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार बालू घाटों को दो समूहों में बांटा गया है।

ग्रुप ए(चांडिल) और ग्रुप बी(सरायकेला)

ग्रुप ए में सोरो-जरगोडीह, सोरो-बिरडीह, बामुंडीह-गोविंदपुर-सापदा और बालीडीह-चांडिल के घाट शामिल हैं। जिसकी सरकारी बोली लगभग 25 करोड़ से शुरुआत होगी। ग्रुप ए के घाटों की नीलामी प्रक्रिया में कई बड़े पूंजीपति भाग ले सकते हैं।

ग्रुप बी में सरजामडीह, नुआडीह, चमारु, जादुडीही, बालीडीह-राजनगर, लक्ष्मीपुर और बालीडीह-चांडिल के घाट शामिल हैं। जिसकी सरकारी बोली 20 करोड़ से शुरुआत होगी। ग्रुप बी के घाटों की नीलामी प्रक्रिया में भी कई पूंजीपति भाग ले सकते हैं।

नीलामी प्रक्रिया

नीलामी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और इसमें भाग लेने वाले व्यक्तियों या कंपनियों को ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया का उपयोग किया जा रहा है।

छोटे पूंजीपतियों की चिंता

छोटे पूंजीपतियों को चिंता है कि दो समूहों में नीलामी होने से उन्हें परेशानी हो सकती है। उन्हें लगता है कि बड़े पूंजीपति ही नीलामी में भाग ले सकेंगे और छोटे पूंजीपति नीलामी में भाग नहीं ले पाएंगे। छोटे पूंजीपतियों का कहना है कि अगर एक-एक करके बालू घाटों की नीलामी होती, तो वे भी नीलामी में भाग ले सकते थे।

आगे क्या होगा

अब देखना यह है कि नीलामी प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है और छोटे पूंजीपतियों की चिंताओं का समाधान कैसे होता है। नीलामी प्रक्रिया के परिणामों का इंतजार सभी को है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से पूंजीपति नीलामी में सफल होते हैं।

नीलामी प्रक्रिया के फायदे

नीलामी प्रक्रिया के कई फायदे हैं। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, और बालू घाटों का उपयोग करने वाले उद्योगों को भी लाभ होगा। नीलामी प्रक्रिया से यह भी सुनिश्चित होगा कि बालू घाटों का उपयोग करने वाले पूंजीपतियों को सही तरीके से चुना जाए।

निष्कर्ष

सरायकेला खरसावां जिले में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, और बालू घाटों का उपयोग करने वाले उद्योगों को भी लाभ होगा। अगर सिंगल- सिंगल बालू घाटों की नीलामी होती तो ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारी घाटों की नीलामी में भाग लेते जिससे सरकारी खजाना और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जाती।

अब देखना यह है कि सरकार इस दिशा में क्या अहम कदम उठाती है और छोटे पूंजीपतियों की चिंताओं का समाधान कैसे होता है।


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