
सरायकेला : जिले के चांडिल प्रखंड अंतर्गत भूईंयांडीह गांव में क्रिसमस पर्व के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का शनिवार, 27 दिसंबर को विधिवत समापन हो गया। समापन अवसर पर झारखंड की पारंपरिक लोकनृत्य विधा संक्रांति छऊ की भव्य प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह महोत्सव 25 दिसंबर से प्रारंभ हुआ था, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में ग्रामीणों और आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों की सहभागिता रही।
महोत्सव के प्रथम दिन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामा चारुचाँद किस्कू की उपस्थिति रही। उन्होंने ग्रामीण संस्कृति से जुड़े इस आयोजन को सामाजिक एकता और परंपरा का प्रतीक बताते हुए आयोजन समिति की प्रशंसा की।

दूसरे दिन शुक्रवार, 26 दिसंबर को ईचागढ़ विधानसभा की विधायक सविता महतो ने फीता काटकर सांस्कृतिक कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंच संचालन कर रहे झामुमो केंद्रीय सदस्य एवं पूर्व जिला परिषद ओम लायेक ने उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर ग्रामवासियों की ओर से स्वागत एवं अभिनंदन किया। इसके पश्चात जिला परिषद सदस्य पिंकी लायेक ने विधायक सविता महतो को गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया।

समापन दिवस पर करनीडीह छऊ नृत्य दल के कलाकारों ने अपनी सशक्त प्रस्तुति से कार्यक्रम को विशेष ऊंचाई दी। छऊ कलाकार सनातन सिंह सरदार ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक मेलों से पारंपरिक कला को संरक्षण मिलता है और कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के साथ आर्थिक सहयोग भी प्राप्त होता है। इसके साथ ही काठजोर छऊ नृत्य दल की प्रस्तुति ने भी दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं।
महोत्सव के दौरान पारंपरिक मुर्गा पाड़ा का आयोजन भी किया गया, जिसे स्थानीय ग्रामीण पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा से जोड़कर देखते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से आपसी मेल-जोल बढ़ता है और गांव की सांस्कृतिक पहचान बनी रहती है।
कार्यक्रम में झामुमो केंद्रीय सदस्य सह पूर्व जिला परिषद ओम प्रकाश लायेक, जिला परिषद सदस्य पिंकी लायेक, दिलीप महतो, शिवशंकर लायेक, ग्राम प्रधान अरविंद कुमार तंतुवाई, अरुण टुडू, ग्राम प्रधान आनंद सिंह सरदार, निमाई महतो, बादल महतो, शंकर लायेक, भूषण महतो सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण, जनप्रतिनिधि एवं सांस्कृतिक प्रेमी उपस्थित रहे। आयोजन समिति की ओर से सभी अतिथियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया।
आयोजन समिति ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और जिला परिषद के सहयोग से हर वर्ष इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों को निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है। तीन दिनों तक चला यह महोत्सव लोकसंस्कृति, सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक चेतना को मजबूती देने वाला साबित हुआ।
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