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प० बंगाल कुल्टी बराकर राजस्थान का लोकपर्व 16 दिवसीय गणगौर सोमवार को बराकर नदी में विर्सजन के साथ संपन्न हो गया ।

ByBiru Gupta

Apr 1, 2025

 

 

रिपोर्ट सत्येन्द्र यादव

 

कुल्टी होलिका दहन के साथ शुरू होने वाला राजस्थान का लोकपर्व 16 दिवसीय गणगौर सोमवार को बराकर नदी में विर्सजन के साथ संपन्न हो गया।

इस संबंध में बताया जाता हैं कि नवविवाहिता अपने सुहाग के चिरंजीव होने तथा युवतियां योग्य वर प्राप्त करने के लिए गणगौर त्योहार मनाती हैं। मां पार्वती गणगौर के रूप में आती हैं और गणगौर तथा आदि अनादि भगवान शिव की सोलह दिनों तक हरी दुब और जल से पूजा की जाती हैं। घरों में गणगौर का लोकगीत की गूंज रहती हैं।कथा के अनुसार महिलाओ का एक धनी वर्ग मां गणगौर की पूजा सोने और चांदी के बर्तन में करती हैं और माता गणगौर उन्हे आशिर्वाद देती हैं तो भगवान शिव मां पार्वती से पूछते हैं कि गरीब जो तुम्हारी पूजा करते हैं। उन्हें कैसा वरदान दोगी। तो माता पार्वती अपनी अंगुली चीरकर रक्त का छिड़काव कर उन्हे चिरंजीवी वर का वरदान देती हैं। कथा में माता गणगौर नदी किनारे बालू का शिवलिंग बना कर पूजा करने पर भगवान शिव भी वरदान देते हैं।

सोलह दिन तक चलने वाले इस पर्व पर नवविवाहिता गणगौर और भगवान शिव को बाजरा का आटे का पिंजरी, चना की घुघरी और गेहू को गर्म पानी में सिजा कर प्रसाद का भोग लगाती हैं और सभी परिचित के बीच वितरण करती हैं। पूजा के दौरान भाईयों से अपनी सुरक्षा का आशिर्वाद भी लेती हैं।

अंतिम दिन घर में नये नये पकवान बनते हैं और गणगौर माता की पूजा करने के बाद अबीर गुलाल से खेलती हैं और अंत में भाव विभोर होते हुए माता को विदाई कर नदी में विर्सजन कर देती हैं। विर्सजन के साथ ही दामाद जी नवविवाहिता को लेने आ जाते हैं और अंत में दामाद बाबू की खातिरदारी में पूरा परिवार व्यस्त हो जाता हैं। सोलह दिनों तक घर के आंगन में चहकने वाली चिड़िया ससुराल चली जाती हैं।


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