

गोविंदपुर में चार दिवसीय जैविक कृषि प्रशिक्षण संपन्न: किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम गोविंदपुर, झारखंड: गोविंदपुर में आयोजित चार दिवसीय जैविक खाद्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफलतापूर्वक समापन हो गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय किसानों, पुरुष और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना सह कृषक पाठशाला योजना के अंतर्गत आयोजित इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को जैविक खेती की विभिन्न तकनीकों से अवगत कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों को जैविक खाद बनाने की विधियों, प्राकृतिक कीट नियंत्रण के तरीकों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और जैविक उत्पादों के विपणन की रणनीतियों के बारे में गहन जानकारी प्रदान की गई। विशेषज्ञों ने किसानों को समझाया कि कैसे वे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर अपनी निर्भरता कम करके अपनी कृषि लागत को कम कर सकते हैं और साथ ही स्वस्थ और पौष्टिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

समापन समारोह में, गोविंदपुर के पौधा संरक्षण प्रभारी हिरण प्रसाद ने सभी प्रशिक्षित किसानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने किसानों को जैविक खेती अपनाने और अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री प्रसाद ने कहा कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए स्थायी आजीविका का एक अवसर भी प्रदान करती है।

इस महत्वपूर्ण चार दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशिक्षण प्रभारी साहिल नितेश तिवारी, राहुल पांडे, तपन रवानी और आलोक पंडित ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी ने मिलकर किसानों को व्यवहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान किया, जिससे वे अपनी कृषि पद्धतियों में सुधार ला सकें। कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि उन्हें जैविक खेती के बारे में बहुत कुछ नया सीखने को मिला है, जिससे वे भविष्य में लाभान्वित होंगे।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने गोविंदपुर के किसानों को न केवल जैविक खेती की बारीकियों से परिचित कराया, बल्कि उन्हें एक ऐसे रास्ते पर भी अग्रसर किया जहाँ वे अपनी भूमि का सदुपयोग कर सकें और स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान दे सकें। यह कार्यक्रम निश्चित रूप से क्षेत्र में कृषि विकास और किसानों की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा।
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