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डाॅ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय जगद्गुरू रामभद्राचार्य को करेगी मानद उपाधि से सम्मानित

ByBiru Gupta

Jan 31, 2025

 

सागर: डाॅ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय जगद्गुरू रामभद्राचार्य के लिए मानद उपाधि से विभूषित करने की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने राष्ट्रपति से अनुमति मांगी है. राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद सागर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में जगद्गुरू रामभद्राचार्य को मानद उपाधि से विभूषित किया जाएगा.
फिलहाल सागर यूनिवर्सटी ने अपना प्रस्ताव राष्ट्रपति भवन भेजा है. प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है.

33वें दीक्षांत समारोह में होंगे विभूषित

सागर के डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षांत समारोह की तैयारियां तेज हो गई हैं. इसी कड़ी में सागर विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ नीलिमा गुप्ता ने जगद्गुरू रामभद्राचार्य को विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि से सम्मानित करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति भवन भेजा है. हालांकि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की तारीख अभी तय नहीं हुई है क्योंकि राष्ट्रपति भवन को भेजे गए प्रस्ताव पर राष्ट्रपति भवन की सहमति का इंतजार किया जा रहा है. जैसे ही राष्ट्रपति सागर विश्वविद्यालय के प्रस्ताव पर सहमति देंगीं, वैसे ही दीक्षांत समारोह की तारीख और कार्यक्रम तय कर दिया जाएगा.

मानद उपाधि के लिए राष्ट्रपति की अनुमति जरूरी

बता दें कि जब कोई यूनिवर्सिटी किसी विशेष व्यक्ति को मानद उपाधि से विभूषित करना चाहता है, तो इसके लिए राष्ट्रपति से अनुमति लेना होती है. राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही संबंधित व्यक्ति को मानद उपाधि से विभूषित किया जाता है.

कौन हैं जगद्गुरू रामभद्राचार्य

जगद्गुरू रामभद्राचार्य की बात करें तो उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है और उनका जन्म उत्तरप्रदेश के जौनपुर में हुआ था. उनकी पहचान शिक्षाविद, बहुभाषाविद, कथाकार और प्रवचनकर्ता के रूप है. जब वो 2 महीने के थे, तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद उन्होंने 22 भाषाएं सीखीं और करीब 80 ग्रंथों की रचना की है. जिनमें 4 महाकाव्य शामिल हैं जिसमें 2 संस्कृत में और 2 हिंदी में हैं.
जगद्गुरू रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के 4 जगद्गुरूओं में से एक हैं. उन्हें 1988 में जगद्गुरू पद पर प्रतिष्ठित किया गया था. उन्होंने विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना भी की है, जिसके वो आजीवन संस्थापक कुलाधिपति हैं. जगद्गुरू को 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।


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