
पंकज ठाकुर
बड़कागांव। पूर्व विधायक अम्बा प्रसाद द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए वर्तमान विधायक रौशन लाल चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अंबा प्रसाद के द्वारा सत्य को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। सच को आंच की ज़रूरत नहीं होती ।

आगे कहा यदि 8 जुलाई 2024 को झारखंड कैबिनेट से विस्थापन आयोग के गठन की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, जैसा कि अम्बा प्रसाद दावा कर रही हैं, तो फिर 09 सितंबर 2025 को कैबिनेट से फिर क्यों पारित करना पडी? 11 सितंबर 2025 को राज्य सरकार को ‘विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग नियमावली, 2025’ को दोबारा अधिसूचित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? यह स्पष्ट प्रमाण है कि 2024 में केवल नीति-घोषणा (announcement) हुई थी, पर आयोग को कानूनी रूप और कार्यात्मक शक्ति प्रदान नहीं की गई थी। विधायक चौधरी ने कहा

मैंने विस्थापन आयोग के गठन और उसकी वैधानिकता को लेकर बजट सत्र 2025 में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और गैर-सरकारी संकल्प के माध्यम से सरकार से जवाब माँगा था। सरकार ने सदन में कहा था कि ‘90 दिनों के भीतर आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
परंतु 90 दिन बीतने के बाद भी आयोग को कानूनी रूप से प्रभावी नहीं बनाया गया। तब मैंने पुनः मॉनसून सत्र 2025 में सरकार को विधानसभा में ध्यानाकर्षक सूचना के द्वारा इस विषय पर बजट सत्र में सरकार के वादा को याद दिलाया परिणाम स्वरूप सरकार ने आयोग गठन की अधिसूचना जारी की लेकिन आयोग को सरकार ने शक्ति विहीन रखा है. I विस्थापितों को ठगा गया है।
कहा कि सरकार ने विस्थापितों की आशाओं को बार-बार टाला है —
सिर्फ नाम का आयोग बनाना न्याय नहीं है। आयोग को वैधानिक और अर्ध-न्यायिक शक्ति देना आवश्यक है, ताकि उसका निर्णय बाध्यकारी हो सके।मैं यह क्रेडिट लेने नहीं, बल्कि विस्थापितों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ रहा हूँ।
जब तक आयोग को कानूनी दर्जा नहीं मिलेगा और विस्थापित परिवारों को न्याय नहीं मिलेगा, मेरी लड़ाई जारी रहेगी।
अम्बा प्रसाद के इस दावे पर कि आयोग उनके कार्यकाल के प्रयासों से बना, विधायक चौधरी ने कहा
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे उस आयोग पर श्रेय लेने की राजनीति कर रही हैं, जो अभी तक पूरी तरह कानूनी अस्तित्व में ही नहीं आया है। जनता यह भली-भाँति जानती है कि जब मैं विधानसभा में इस मुद्दे को लगातार उठा रहा था, तब सरकार ने ही स्वीकार किया था कि नियमावली अभी निर्माणाधीन है। इसलिए इस तथाकथित ‘श्रेय’ की राजनीति से उन्हें बाज़ आना चाहिए।जनता के प्रश्नों से भागना नहीं, जवाबदेही निभाना ज़रूरी।
विस्थापन आयोग जनता की माँग है, किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं। जो लोग जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जनता अब सवाल करती है — और सच्चाई को पहचानती है।मैं हर विस्थापित परिवार के साथ खड़ा हूँ और यह सुनिश्चित करूँगा कि आयोग केवल कागज पर नहीं, बल्कि ज़मीन पर काम करे।
विकास और न्याय – दोनों की ज़रूरत है
बड़कागांव, हजारीबाग और आसपास के क्षेत्रों में खनन परियोजनाओं, उद्योगों और पावर प्लांट्स से हजारों परिवार प्रभावित हैं। रोशन लाल ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि विकास हो, पर विस्थापितों को न्याय भी मिले।
यह मेरी राजनीति नहीं, मेरी ज़िम्मेदारी है। मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि विस्थापन आयोग को विधानसभा में विधेयक के रूप में लाया जाए,ताकि आयोग को वैधानिक और अर्ध-न्यायिक दर्जा मिल सके। यही सच्चा न्याय होगा और यही राज्य सरकार की संवेदनशीलता की असली परीक्षा होगी।जब तक आयोग को कानूनी शक्ति नहीं मिलेगी,तब तक विस्थापितों का न्याय अधूरा रहेगा,
मेरा लक्ष्य किसी से श्रेय छीनना नहीं, बल्कि विस्थापितों का हक दिलाना है। मैं हर विस्थापित, हर पीड़ित परिवार की आवाज़ बनकर विधानसभा से लेकर सड़कों तक लड़ाई जारी रहेगा।
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