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बीसीसीएल में एमडीओ मॉडल के तहत रैयती भूमि एवं गैरअबाद सरकारी भूमि बिना अनुमति जबरन उत्खनन कार्य पर रोक लगाए जिला प्रशासन;- रमेश रवानी

ByBiru Gupta

Jan 15, 2025

 

केंदुआ।प्रेस वार्ता के तहत इंटक असंगठित धनबाद प्रखण्ड के अध्यक्ष रमेश रवानी ने कहा की बीसीसीएल आज के दौर में जितने भी एमडीओ मॉडल के तहत कोयला ओबी उत्खनन का कार्य हेतु संविदा निकाला गया है गैर संवैधानिक तरीके से किया गया है क्योंकि एमडीओ मॉडल के तहत जो संविदा निकल गया है और संवेदकों को कोयला ओबी उत्खनन कार्य आवंटन किया गया है उसे क्षेत्र के संविदा कल का लैंड शेड्यूल जांच किया जाए तो पता चल जाएगा की बीसीसीएल ने एमडीओ मॉडल के तहत जो संविदा निकाला है उसमें रैयती भूमि के भूस्वामी एवं गैरअबाद सरकारी भूमि के भूस्वामी संबंधित विभाग से बिना अनुमति एवं सहमति लिए संविदा निकालकर संविदक को कोयला वह भी उत्खनन कार्य हेतु दे दिया इसके चलते आए दिन बीसीसीएल के सभी क्षेत्रों में हक अधिकार की लड़ाई हेतु धरना प्रदर्शन एक तरफ रैयत और दूसरे तरफ आउटसोर्सिंग कंपनी अपने कॉल माफिया रंगदारो को मिलाकर गोली

बमबारी कराकर क्षेत्र को अशांत किया जाता है और जिला प्रशासन को अपने विश्वास में लेकर रैयती भूमि एवं गैरअबाद सरकारी भूमि पर बिना अनुमती एवं बिना सहमति लिए एमडीओ मॉडल के परियोजना में 144 धारा या 163 धारा के तहत एक तरफा बीसीसीएल और आउटसोर्सिंग कंपनी के पक्ष में कार्रवाही की जाती है।जबकि जिला प्रशासन को एमडीओ मॉडल के परियोजना से सभी दस्तावेज एवं कागजातों को देखकर यह निर्णय लेना चाहिए था कि उक्त जमीन पर किसी रैयती भूमि या सरकार की गैराआवाद सरकारी भूमि खाते की जमीन है या नहीं उसके बाद जिला प्रशासन अपने स्तर से उचित कार्रवाई कर धारा 144 या 163 धारा के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।

रैयती भूमि एवं गैराआवाद सरकारी भूमि को जबरन उत्खनन से बचाने के लिए अपर समाहर्ता भूमि सुधार एवं अंचल अधिकारी कई कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख धाराएं हैं इस प्रकारः

– *भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013*: इस अधिनियम के तहत, सरकारी भूमि के अधिग्रहण और उपयोग के लिए नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं।

– *भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860*: आईपीसी की धारा 425, 426, और 427 के तहत, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या अवैध रूप से कब्जा करने के लिए दंड और जुर्माना का प्रावधान है।

– *सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम, 1903*: इस अधिनियम के तहत, सरकारी संपत्ति की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए हैं।

– *पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986*: यदि उत्खनन कार्य पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में हो रहा है, तो इस अधिनियम के तहत पर्यावरणीय मूल्यांकन और अनुमति की आवश्यकता हो सकती है।

– रैयत की भूमि एवं गैराआवाद सरकारी भूमि पर जबरन कब्जा और उत्खनन से बचाने के लिए निम्नलिखित कानूनों का सहारा लिया जा सकता है:

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)

1. *धारा 441*: अवैध कब्जे के लिए दंड।

2. *धारा 442*: अवैध कब्जे के लिए दंड, यदि कब्जा हथियारों के साथ किया गया हो।

3. *धारा 447*: अवैध कब्जे के लिए दंड, यदि कब्जा किसी सरकारी अधिकारी के आदेश के विरुद्ध किया गया हो।

सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा अधिनियम

1. *सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा अधिनियम, 1984*: यह अधिनियम सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और अवैध कब्जे को रोकने के लिए बनाया गया है।

2. *निजी संपत्ति की सुरक्षा अधिनियम*: यह अधिनियम निजी संपत्ति की सुरक्षा और अवैध कब्जे को रोकने के लिए बनाया गया है।

भूमि संबंधी कानून

1. *भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013*: यह अधिनियम सरकारी जमीन के अधिग्रहण और कब्जे से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।

2. *रैयत अधिनियम*: यह अधिनियम रैयतों के अधिकारों और दायित्वों को नियंत्रित करता है।

पर्यावरण संबंधी कानून

1. *पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986*: यह अधिनियम पर्यावरण की सुरक्षा और अवैध उत्खनन कार्यों को रोकने के लिए बनाया गया है।

2. *वन संरक्षण अधिनियम, 1980*: यह अधिनियम वनों की सुरक्षा और अवैध कटाई को रोकने के लिए बनाया गया है।

– नियमित निरीक्षण करें ताकि अवैध कब्जे या उत्खनन कार्यों का पता लगाया जा सके।

– कानूनी सलाह लें यदि आपको लगता है कि आपकी जमीन पर अवैध कब्जा या उत्खनन कार्य हो रहा है।

– पुलिस और प्रशासन को सूचित करें यदि आपको अवैध कब्जे या उत्खनन कार्यों का पता चलता है।

इन धाराओं के अलावा, अपर समाहर्ता और अंचल अधिकारी अन्य संबंधित कानूनों और नियमों के तहत भी कार्रवाई कर सकते हैं।


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