
सरायकेला (झारखंड): सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल में, विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने शनिवार को कुड़मी/कुरमी महतो जाति को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया।
विभिन्न जनजातियों (संथाल, भूमिज, कोड़ा, उरांव, मुण्डा, सबर, हो, इत्यादि) का प्रतिनिधित्व करने वाले इस संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन ने अपनी मांग को लेकर नीमडीह प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार एस अभिनव को एक मांग पत्र सौंपा।

इस विरोध प्रदर्शन में डोमन सिंह, श्यामल मार्गी, सुरेन्द्र सिंह, भोला सिंह, लक्ष्मण सिंह, अजय सिंह, बरूण सिंह, असित सिंह और अन्य आदिवासी महिला-पुरुष अपने पारंपरिक हथियारों के साथ शामिल हुए।

आदिवासियों की तीन सूत्री मांगें
संगठन ने अपने मांग पत्र में कुड़मी/कुरमी महतो समुदाय को ST सूची में शामिल न करने के पक्ष में तर्क दिए और तीन प्रमुख मांगें रखीं:
कुड़मी/कुरमी महतो के ST समावेशन को अस्वीकार किया जाए:
आदिवासियों का कहना है कि कुड़मी/कुरमी महतो एक कृषक जाति है, जिसकी भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, पूजा पद्धति और वेशभूषा स्थानीय आदिवासियों से बिल्कुल अलग है।
उनका तर्क है कि यह समुदाय आर्थिक तथा सामाजिक रूप से अधिक प्रगतिशील है। यदि इसे ST सूची में शामिल किया जाता है, तो अनुसूचित जनजाति वर्ग और अधिक हाशिये पर चला जाएगा।
उन्होंने TRI (जनजातीय अनुसंधान संस्थान) की नृवंशविज्ञान रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसने इस समुदाय को ST सूची में शामिल करने के लिए अनिवार्य मापदंडों का अभाव बताया था।
सरना धर्म कोड को मान्यता दी जाए:
झारखंड के आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक हैं और वे वर्षों से अपने लिए अलग धर्म कोड ‘सरना’ की मांग कर रहे हैं। इस कोड को तुरंत मान्यता दी जाए।
पेसा एक्ट 1996 को लागू किया जाए:
झारखंड में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा एक्ट) को पूरी तरह से लागू किया जाए।
संगठन ने आशा व्यक्त की है कि प्रशासन उनके इन तीन सूत्री मांगों पर विचार करेगा और आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगा।
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