

औरंगाबाद से अविनाश कुमार की रिपोर्ट
औरंगाबाद।

राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय खेल महोत्सव का समापन अधिवक्ता संघ सभागार में संगोष्ठी एवं खेल रत्न सम्मान समारोह के साथ हुआ। आयोजन जनेश्वर विकास केंद्र, महोत्सव परिवार एवं खेल कौशल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता खेल कौशल के संयोजक वीरेंद्र सिंह ने की।

मुख्य अतिथि के रूप में विवेकानंद मिशन स्कूल के निर्देशक शंभू शरण सिंह, रामानंद बीएड कॉलेज के निदेशक शंभू नाथ पांडे, विष्णु धाम महोत्सव के अध्यक्ष अजीत सिंह, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष संजय सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस अवसर पर जिले के विभिन्न खेलों से जुड़े लगभग 50 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल रत्न सम्मान और मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।
संगोष्ठी में वक्ताओं ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जीवन, उनके खेल कौशल और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने बताया कि ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने करियर में 400 से अधिक गोल दागने वाले ध्यानचंद ने देश का गौरव बढ़ाया। उन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और उनकी जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कार्यक्रम का संचालन सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आदित्य श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने युवाओं से खेलों को जीवन का हिस्सा बनाने, अनुशासन, परिश्रम और समर्पण की भावना अपनाने का आह्वान किया।
महोत्सव में जिले के नामचिन्ह खिलाड़ी, कवि, प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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