

लखनऊः प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से विधानसभा का घेराव करने जा रहे कांग्रेसजनों व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के बीच भीषण संघर्ष हुआ. विधानसभा की ओर कूच करते हुए कांग्रेसियों की पुलिस प्रशासन से धक्का-मुक्की के दौरान एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता सहजनवा जनपद गोरखुपर निवासी प्रभात पाण्डेय की मौत हो गई.
इस घटना से प्रदेशभर के कांग्रेसजनों में योगी सरकार के प्रति भारी आक्रोश है. मृतकों के परिजनों का कहना है कि विधानसभा घेराव के दौरान प्रभात पांडे कांग्रेस नेताओं के साथ विधानसभा की तरफ गया था. इस दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग कर कांग्रेसियों का रास्ता रोक लिया. धक्कामुक्की में उसे गंभीर चोटे आई थीं. जिसके बाद वह वहां से लौट कर प्रदेश कार्यालय आ गया था.

इसके बाद उसे कांग्रेस कार्यालय से ही सिविल हॉस्पिटल भर्ती कराया गया था, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत्यु घोषित कर दिया.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि हम गांधी की विचारधार को मानने वाले लोग हैं. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराने की मंशा से विधानसभा की ओर जा रहे थे. मगर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से कांग्रेसजनों की आवाज को दबाने की मंशा से एक दिन पूर्व ही प्रदेश भर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट किया जा रहा था तथा लखनऊ न आने का दबाव बनाया जा रहा था.
अजय राय ने विधानसभा घेराव की पूर्व संध्या पर चेताया था कि कांग्रेसजनों को रोकने के लिए बड़ी-बड़ी भालेदार बैरीकेडिंग लगाना दर्शाता है कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मारना चाहती है. अजय राय ने कहा कि हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि मुख्यमंत्री मृतक प्रभात पाण्डेय के परिवार को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करे.
वहीं डीसीपी सेंट्रल रवीना त्यागी ने कहा कि प्रभात पाण्डेय को पांच बजे बेहोशी की हालत में कांग्रेस कार्यालय से सिविल अस्पताल ले जाया गया था. जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस दौरान मृतक प्रभात पाण्डेय के शरीर पर डॉक्टर ने किसी भी प्रकार की चोट नहीं पाई है. डॉक्टर के पैनल से पोस्टमार्टम कराया जाएगा. रिपोर्ट आने पर मौत की असल वजह सामने आ सकेगी.
इधर, कांग्रेस ने प्रदर्शन के दौरान भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है. सोशल मीडिया पर लिखा है कि डरा हुआ तानाशाह पुलिस को आगे करके अपनी नाकामी को छुपा नहीं सकता. हर हाल में उसे जनता के मुद्दों को जवाब देना ही होगा! माफीवीरों के वंशज जेल का भय दिखाकर हमें डरा नहीं सकते. किसान, दलित, मज़दूर, पिछड़ों, नौजवानों और महिलाओं के हक-हुकूक की आवाज़ को हम यूं ही बुलंद करते रहेंगे.
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